किसानों के एक संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन के सिंहस्थ (कुंभ) मेले वाले इलाके में लैंड पूलिंग स्कीम को खत्म करने का लिखित आदेश जारी नहीं करती है, तो 26 दिसंबर से नया आंदोलन शुरू किया जाएगा.
सिंहस्थ 2028 में मंदिरों के शहर में आयोजित किया जाएगा और इसे देखते हुए सरकार ने स्थायी निर्माण के लिए किसानों की जमीन हासिल करने की नीति शुरू की थी. पहले सिंहस्थ आयोजन के लिए किसानों से 5-6 महीने के लिए जमीन ली जाती थी.
किसानों ने आरोप लगाया था कि सरकार स्थायी और कमर्शियल निर्माण के नाम पर 'लैंड पूलिंग नीति' लागू करके सिंहस्थ इलाके में उनकी जमीन छीन रही है.
उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार तय समय में कोई ठोस फैसला नहीं लेती है, तो 18 नवंबर से हजारों किसान उज्जैन में डेरा डालेंगे और जब तक यह योजना रद्द नहीं हो जाती, तब तक अपना विरोध जारी रखेंगे.
17 नवंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारतीय किसान संघ (BKS), बीजेपी के पदाधिकारियों, उज्जैन के जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के साथ बातचीत के बाद, किसानों द्वारा जोरदार विरोध की जा रही 'सिंहस्थ लैंड पूलिंग' नीति को रद्द करने की घोषणा की.
राज्य सरकार ने बाद में इसे रद्द करने के बजाय नीति में संशोधन किया. इससे नाराज होकर, BKS के बैनर तले किसानों ने रविवार को यहां एक बैठक की.
BKS के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह अंजना ने रविवार को न्यूज एजेंसी को बताया, बैठक में शामिल लोगों का मानना था कि राज्य सरकार ने किसानों और भारतीय किसान संघ के साथ 'धोखा' किया है और अपने वादों से मुकर गई है.
उन्होंने कहा कि BKS 26 दिसंबर से उज्जैन कलेक्टर के ऑफिस के बाहर अनिश्चितकालीन '26/12 घेरा डालो, डेरा डालो' आंदोलन शुरू करेगा.
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अंजना ने कहा कि हजारों किसान कलेक्टर ऑफिस पहुंचेंगे और वहां टेंट लगाएंगे. उन्होंने कहा, "जब तक राज्य सरकार सिंहस्थ लैंड पूलिंग नीति को रद्द करने का लिखित आदेश जारी नहीं करती, तब तक हम वहां से नहीं हटेंगे."
बता दें कि उज्जैन में हर 12 साल में होने वाला सिंहस्थ एक बड़ा हिंदू धार्मिक आयोजन है, जिसमें भारत और विदेश के लाखों श्रद्धालु आते हैं.