इशी खोसला, दिल्ली
दिल्ली की एक लड़की ने बहुत कम उम्र में ही कैलोरी गिनना शुरू कर दिया था. बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल की यह लड़की मोटापे से तंग आकर खुद तैयार किए नुस्खे आजमाने लगी. बस, इसी कवायद ने न्यूट्रीशनिस्ट के तौर पर उसके सफर की शुरुआत की.
उन्होंने एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा में बैठने की बजाए लेडी इरविन कॉलेज से फूड ऐंड न्यूट्रिशन में एडवांस्ड डिग्रियां हासिल करने का फैसला किया. उन्होंने दिल्ली के एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी विभाग में अच्छी नौकरी को छोड़कर हॉस्पिटल के डाइट चार्ट के पार जाकर कुछ करने की ठानी.
उन्होंने 2001 में रिसर्च और क्लीनिकल तजुर्बे के आधार पर होल फूड्स नाम के एक ब्रांड की शुरुआत की. यह दिल्ली में पोषक भोजन की ऐसी दुकान है, जहां आपको एक छत के नीचे सब कुछ मिल सकता है.
खास है
खाने का कोई नियम नहीं, कोई चार्ट नहीं. सिर्फ एक योजना है, जो रोजमर्रा के जीवन में आसानी से पिरोई जा सकती है.
भोजन की फिलॉसफी
*नतीजे ही सब कुछ नहीं हैं. आपको यह पता होना चाहिए कि आप क्या खा रहे हैं और क्यों.
*अपने बॉडी टाइप, परिवार की मेडिकल हिस्ट्री और अपनी निजी मेडिकल दिक्कतों जैसे मोटापे, दिल के रोग या अन्य किसी बीमारी को ध्यान में रख कर भोजन करें.
*बॉडी मास इंडेक्स या लंबाई और वजन का नाप, साथ ही कमर और नितंब का अनुपात अथवा कमर का घेरा और नितंब का घेरा नापना जरूरी है जिससे दिल के रोगों की पहचान संभव है. भारतीयों में चर्बी पेट पर जमती है, जो किसी और जगह चर्बी जमने से कहीं ज्यादा खतरनाक है.
*देर से और ढेर-सारा न खाएं. भारत में कोई भी डिनर दस बजे से पहले शुरू नहीं होता है.
*भारतीय भोजन कार्बोहाइड्रेट के ईर्दगिर्द घूमता है. खाने में चावल और रोटियां खूब होते हैं.
*भारतीय मूल रूप से शाकाहारी हैं, लेकिन वे पर्याप्त मात्रा में सब्जियां नहीं खाते.
*खाने की उपलब्धता और आर्थिक संपन्नता ने खाने की आदतों पर प्रतिकूल असर डाला है. हमारे चारों तरफ खाने की चीजें भरी पड़ी हैं.
*भारतीय सामाजिक रूप से असंवेदनशील होते हैं और लोगों को खाना खाने पर मजबूर करते हैं.
*हम अच्छी सेहत पर ध्यान नहीं देते, बस दिखावटी बदलाव करते हैं.
''मैं कोई मेन्यू राइटर नहीं. न ही आपको हाथ पकड़कर सिखा रही हूं. मैं चाहती हूं कि आप लाइफस्टाइल को बदलें. इसलिए मैं उम्र भर चलने वाला डाइट प्लान बनाने में यकीन करती हूं.''
शिखा शर्मा, दिल्ली
हर कोई उन्हें न्यूट्रिशनिस्ट कहता है, लेकिन वे सबसे पहले एक एलोपैथिक डॉक्टर हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई वसंत विहार के मॉडर्न स्कूल में हुई और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री ली, लेकिन प्रकृति और स्वस्थ जीवन में दिलचस्पी के कारण उन्होंने प्रिवेंटिव मेडिसिन को चुना, जिसने उन्हें आयुर्वेद के अध्ययन के लिए प्रेरित किया और उन्होंने अपने क्लीनिक खोले. मरीजों के साथ उनका पहला सेशन एक घंटे तक चलता है, वे उसके शरीर की संरचना को समझ्ती हैं और उसकी मेडिकल जरूरतों का पता लगाती हैं. बाद में अपनी न्यूट्रिशनिस्ट टीम के साथ बैठ कर मरीज का डाइट चार्ट तैयार करती हैं.
''हेल्दी वेट सिर्फ पोषण का मामला नहीं है. इसका आपके शरीर की बनावट, मेडिकल हिस्ट्री, लाइफस्टाइल और मनोविज्ञान से भी सरोकार है.''
भोजन की फिलॉसफी
*अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा अधिक रखें, मोटा अनाज, फल छिलके के साथ खाएं. आपके दैनिक भोजन का दसवां हिस्सा सब्जियों का होना चाहिए.
*नमक को लेकर सचेत रहें क्योंकि हम लोग स्वास्थ्य के लिहाज से आदर्श मात्रा 8-10 ग्राम से ज्यादा खाने के आदी हैं.
*भारतीयों के साथ बुनियादी दिक्कत यह है कि हम स्वास्थ्य को लेकर नहीं, बल्कि वजन और सौंदर्य को लेकर सचेत रहते हैं.
*मझौले दर्जे के शहरों में अकसर शाम की चाय के साथ लोग नमकीन खाते हैं और इतवार को आलू की पूड़ी खाते हैं. महानगरों में प्रोसेस्ड खाने का चलन है.
*महिलाओं को गर्भ के दौरान और मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद अतिरिक्त कैल्शियम की जरूरत होती है. फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 की कमी आम है.
*35 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों और महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए और अपने खाने के तरीके में बदलाव लाना चाहिए.
खास है
आधुनिक मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिद्धांतों का मेल. न्यूट्रिशनिस्ट की टीम को हर मरीज के हिसाब से अलग-अलग रणनीति बनाने का सुझाव देती हैं.
अंजलि मुखर्जी, मुंबई
मिस इंडिया की प्रतिभागियों की आधिकारिक न्यूट्रिशनिस्ट मुखर्जी ने अपनी प्रैक्टिस 1984 में शुरू की. मुंबई के द इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, केटरिंग टेक्नोलॉजी ऐंड अप्लाइड न्यूट्रिशन से पढ़ीं मुखर्जी की विशेषज्ञता डायटेटिक्स और न्यूट्रिशन में है. उन्होंने क्लीनिकल न्यूट्रिशन की पढ़ाई अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन से की और बाद में ऑल्टरनेटिव मेडिसिन में पीएचडी की. काम शुरू करते वक्त न्यूट्रिशनिस्ट बनने की उनकी बहुत ज्यादा इच्छा नहीं थी, लेकिन जैसे-जैसे उनके मरीजों को वजन कम करने और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को दूर भगाने में लाभ होता गया, वैसे-वैसे उनकी नॉलेज बढ़ती गई और वे प्रोफेशनल बन गईं. उन्होंने 1997 में अपनी कंपनी हेल्थ टोटल शुरू की.
भोजन की फिलॉसफी
*खाने में उपचार की जबरदस्त क्षमता होती है. शरीर की संरचना के हिसाब से खाया जाए, तो न सिर्फ वजन घटेगा बल्कि दूसरी दिक्कतें भी कम हो जाएंगी.
*अपने हिसाब से भोजन का फॉर्मूला तय करने के लिए अपने शरीर को समझ्ना जरूरी है. सबके लिए एक सी डाइट नहीं हो सकती.
*लोग गलत डाइट लेते हैं और ऐसे रोगों से घिर जाते हैं जिनसे बचाव मुश्किल है. आसानी से उपलब्ध भ्रामक सूचनाएं दिक्कतें पैदा करती हैं.
*शरीर के मुताबिक भोजन के लिए प्रोफेशनल की सलाह लेना अहम है.
*एक राष्ट्र के रूप में हम ज्यादा खाए हुए कम पोषित लोग हैं. हम संतुलन खो देते हैं और अपनी इच्छा के जाल में उलझ जाते हैं.
''अगर आप सही ढंग से खा रहे हैं, तो कभी-कभार अपने मन मुताबिक ऐसा भोजन ले सकते हैं जो बहुत हेल्दी नहीं है.''
खास है
सिर्फ वजन कम करने पर केंद्रित नहीं बल्कि समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन की बात. पोषण की कमी से होने वाली अन्य स्वास्थ्यगत दिक्कतों को भी हल करता है.
रुजुता दिवेकर, मुंबई
करीना कपूर की साइज़ जीरो फि गर के पीछे डायटीशियन दिवेकर का ही हाथ है. उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहां उन्हें अच्छी सेहत विरासत में मिली थी. स्कूल में वे स्प्रिंट करती थीं और कॉलेज में एरोबिक्स. उन्होंने मुंबई की एसएनडीटी यूनिवर्सिटी से स्पोर्ट्स साइंस और न्यूट्रिशन में पोस्टग्रेजुएशन किया. वे योग और वेदांत सीखने के लिए नियमित तौर पर ऋषिकेश जाती हैं.
भोजन की फिलॉसफी
*सही खाएं, समय पर खाएं. रोटियां न गिनें. खाने को वरदान की तरह लें, नियमित वर्जिश करें, अनुशासित लाइफस्टाइल अपनाएं, सही समय पर सोएं और जागें.
*भारतीय विविधता का आनंद लें. मैं हर व्यक्ति को एक ही तरह का खाना खाकर वजन कम करने को नहीं कहती.
*शरीर में विश्वास रखें कि वह पोषक तत्वों का समुचित दोहन करेगा. सारा काम हमारा शरीर करता है, श्रेय डायटीशियन को जाता है.
*आदर्श फूड चार्ट नाम की कोई चीज नहीं होती. मेरे हिसाब से आदर्श भोजन स्थानीय उत्पादों, ताजा सामग्री और घरेलू खाने का नाम है. वजन कम करने वाले बाजार के तरीकों से भ्रमित न हों.
*भारतीयों की सबसे बड़ी दिक्कत है आंख बंद कर के पश्चिम की नकल करना. वे भारत की सदियों पुरानी मौखिक परंपरा और ज्ञान को छोड़कर पश्चिम के रिसर्च पर यकीन कर लेते हैं.
खास है
वजन तौलने वाली मशीन के चक्कर में न पड़ें. ताजा, स्थानीय और सादा खाएं. पोषक तत्वों को लेकर सजग रहें. वर्जिश से फिट रहें.
''मैं अपने पंजाबी ग्राहकों को आलू के परांठे और दक्षिण भारतीय ग्राहकों को दही सादम खाने को प्रोत्साहित करती हूं. मैं लोगों से सूखा भेल, सलाद और जूस खाने के लिए जबरदस्ती नहीं करती.'