Fatty Liver: जड़ी-बूटियों और पौधों का इस्तेमाल हजारों सालों से यूं तो दवा के तौर पर किया जाता रहा है लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया की वजह से ये बहुत पॉपुलर हो गए हैं जहां सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स अश्वगंधा, हल्दी और ग्रीन टी जैसे हर्बल सप्लिमेंट लेने के फायदों के बारे में बताते हैं.
ब्रिटेन की हेल्थ वेबसाइट 'मेडिकल न्यूज टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि हर्बल सप्लीमेंट को नेचुरल माना जा सकता है लेकिन वो असल में सुरक्षित नहीं होते हैं और बाजार में जाने से पहले उन्हें रिव्यू या मंजूरी की जरूरत होती है.
खतरनाक हो सकते हैं नेचुरल सप्लिमेंट्स
इसके अलावा हर्बल सप्लिमेंट्स से साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं और कुछ जड़ी-बूटियां उन दवाओं पर भी असर डाल सकती हैं जो वो अभी ले रहे हैं. यहां ऐसे ही कुछ हर्बल सप्लिमेंट्स की लिस्ट दी गई है जिनका ज्यादा सेवन लिवर के लिए खतरनाक है.
अब मिशिगन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की एक नई स्टडी में बताया गया है कि लगभग 1.56 करोड़ अमेरिकियों ने पिछले 30 दिनों में कम से कम एक हर्बल सप्लीमेंट लिया है जो उनके लिवर के लिए नुकसानदायक या हेपेटोटॉक्सिक हो सकता है. यह स्टडी हाल ही में JAMA नेटवर्क ओपन जर्नल में पब्लिश हुई थी.
इन प्रोडक्ट्स पर हुई थी स्टडी
इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने 9,500 से ज्यादा अमेरिकी वयस्कों के डेटा को एनालाइज किया था जिनकी एवरेज उम्र 47.5 साल थी. इन पार्टिसिपेंट्स के मेडिकल डेटा में प्रिस्क्रिप्शन ड्रग और हर्बल सप्लीमेंट का इस्तेमाल शामिल था.
साइंटिस्ट्स ने स्टडी पार्टिसिपेंट्स के छह हर्बल सप्लीमेंट्स के इस्तेमाल पर फोकस किया जिन्हें इससे पहले हुई रिसर्च में संभावित हेपेटोटॉक्सिक माना गया था.
अश्वगंधा
ब्लैक कोहोश
गार्सिनिया कैंबोगिया
ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट
रेड यीस्ट राइस
हल्दी या करक्यूमिन
रिसर्च में मिले चौंकाने वाले नतीजे
पोटेंशियली हेपेटोटॉक्सिक बॉटैनिकल प्रोडक्ट्स वो प्रोडक्ट्स होते हैं जिनमें प्लांट-बेस्ड इंग्रीडिएंट्स होते हैं जिन्हें लिवर डैमेज के पोटेंशियल कारणों के तौर पर शामिल किया गया है. एलिसा लिखित्सप, MD, MPH, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी डिवीजन में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर और इस स्टडी की लीड ऑथर ने मेडिकल न्यूज टुडे को बताया.
उन्होंने कहा, 'ये प्रोडक्ट्स लिवर डैमेज कैसे करते हैं, यह अभी पता नहीं चल सका है लेकिन यह शायद प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के बाद लिवर में होने वाले मेटाबॉलिज्म के कारण होता है.'
उन्होंने आगे बताया कि एक प्रैक्टिसिंग हेपेटोलॉजिस्ट के तौर पर मैंने ऐसे मरीज देखे हैं जिन्हें डाइटरी सप्लिमेंट्स लेने से लिवर इंजरी हुई थी और कुछ की हालत जानलेवा थी जिसके लिए इमरजेंसी लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी.