सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में फिलहाल राष्ट्रपति शासन बरकरार रखने का फैसला दिया है. कोर्ट ने नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के लिए राहत भरी है. जबकि कांग्रेस नेता हरीश रावत के लिए झटका माना जा रहा है. हालांकि हरीश रावत समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला अंतरिम है.
रावत ने SC के फैसले का किया स्वागत
हरीश रावत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी को अदालत पर पूरा भरोसा है. हरीश रावत की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वे उत्तराखंड के निवर्तमान मुख्यमंत्री हैं. हरीश रावत ने कहा कि उनके खेमे में इस फैसले को लेकर कोई मायूसी नहीं है. रावत ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि ये उनकी आदत है कि जब फैसले इच्छा मुताबिक न हो तो फिर वो अदालत के ऊपर भी सवाल उठाने से नहीं चुकते.
We will follow SC's judgement with due respect, says Harish Rawat pic.twitter.com/GNAHP6MENV
— ANI (@ANI_news) April 22, 2016
बहुगुणा का हरीश रावत पर हमला
वहीं कांग्रेस के बागी विधायक विजय बहुगुणा ने हरीश रावत के पिछले 24 घंटे के काम-काज पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब फैसले की कॉपी ही नहीं मिली हो तो फिर कैबिनेट बैठक बुलाने की क्या जरूरत थी. बहुगुणा की मानें तो हरीश रावत मामले को अलग रंग देना चाहते थे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरीश रावत के लिए बड़ा झटका है. हरीश रावत ने कैबिनेट की बैठक में ताबड़तोड़ 11 फैसले लिए थे.
Good judgement, quite hopeful that view of HC wont find favour with SC: Vijay Bahuguna (rebel Cong MLA) #Uttarakhand pic.twitter.com/6aCXNqUr0V
— ANI (@ANI_news) April 22, 2016
बागी विधायक भी SC पहुंचे
इसके अलावा अपनी सदस्यता खत्म करने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के 9 बागी विधायक भी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. इन विधायकों ने अपनी सदस्यता बहाल करने और विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान वोटिंग की अनुमति देने की अपील की.
गौरतलब है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने गुरुवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला दिया था. जिस पर शुक्रवार को केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. अब इस मामले पर 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी और तब तक उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन बरकरार रहेगा.