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तमिलनाडु: मदुरै में दीप जलाने को लेकर हंगामा, चार हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता पुलिस से भिड़े

मदुरै में कार्तिगई दीपम की तैयारी के दौरान चार हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता तिरुपरंकुंडरम पहाड़ी पर दीप जलाने जा रहे थे, तभी उनकी पुलिस से झड़प हो गई. न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने मंदिर प्रशासन को शाम 6 बजे दीप जलाने का निर्देश दिया था, जिसके लिए कार्यकर्ता आगे बढ़ रहे थे. पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें रोक दिया.

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मदुरै में दीप जलाने को लेकर हंगामा (Photo: Screengrab)
मदुरै में दीप जलाने को लेकर हंगामा (Photo: Screengrab)

तमिलनाडु के मदुरै में कार्तिगई दीपम के मौके पर मंगलवार को भारी तनाव की स्थिति बन गई, जब चार हिंदू संगठनों के सदस्यों की पुलिस से तीखी झड़प हो गई. ये संगठन तिरुपरंकुंडरम पहाड़ी पर दीप जलाने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऊपर जाने से रोक दिया.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू मक्कल काची, हिंदू तमिझर काची, हनुमान सेनाई और हिंदू मुन्‍नी नामक चार संगठनों के सदस्यों ने पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की. सभी लोग दीप जलाने के लिए आगे बढ़ रहे थे. पुलिस ने सुरक्षा और प्रशासनिक निर्देशों का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया, जिस पर कार्यकर्ता नाराज हो गए और मौके पर तनाव फैल गया.

कार्तिगई दीपम के मौके पर तनान

जानकारी के मुताबिक, सभी संगठन मंदिर परिसर में पारंपरिक दीप जलाने की अनुमति की मांग कर रहे थे. तिरुपरंकुंडरम पहाड़ी कार्तिगई दीपम से जुड़ी पौराणिक और धार्मिक आस्थाओं का केंद्र मानी जाती है. कार्यकर्ता परंपरा के अनुसार दीप जलाने पहुंच रहे थे.

इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने मंदिर अधिकारियों को निर्देश दिया था कि दीपथून पर शाम 6 बजे दीप अवश्य जलाया जाए. इसी निर्देश को आधार बनाते हुए संगठन के सदस्य पहाड़ी की तरफ बढ़े थे. उनका कहना था कि वे अदालत के आदेश के अनुसार दीप प्रज्वलित करना चाहते थे. लेकिन स्थानीय प्रशासन का कहना था कि बिना अनुमति और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था के बिना पहाड़ी पर लोगों के चढ़ने से सुरक्षा में खतरा हो सकता है। पुलिस ने इस वजह से रास्ता रोक लिया.

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पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई बहस

रोकने के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी बहस हुई जो आगे झड़प में बदल गई. पुलिस ने हालात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल बुलाया और कार्यकर्ताओं को नीचे की ओर वापस भेजा. तनावपूर्ण माहौल के बावजूद किसी बड़े हादसे की जानकारी नहीं मिली है. पुलिस ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल सुरक्षा बनाए रखना था. वहीं, संगठनों ने आरोप लगाया कि प्रशासन धार्मिक परंपरा में बाधा डाल रहा है.

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