अयोध्या मामले में फैसला टालने की याचिका पर उच्चतम न्यायालय मंगलवार को सुनवाई करेगा और इस बीच सुलह की संभावना को खारिज करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अखिल भारत हिंदू महासभा ने सोमवार को कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा फैसले में और देर नहीं होनी चाहिए.
दोनों पक्षों ने उच्चतम न्यायालय में अलग-अलग हलफनामों में अपना मत रखा. उधर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि सभी पक्षों को बातचीत या फिर अदालती फैसले को स्वीकार करके समाधान निकालना चाहिए. इस मुकदमे में मुख्य पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वह मामले को बातचीत से निपटाने के लिये उच्च न्यायालय से फैसला तीन महीने टालने का अनुरोध करेगा.
उच्च न्यायालय का फैसला शुक्रवार को आना था लेकिन अब उच्चतम न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पीठ फैसले को टालने की मांग वाली विशेष अनुमति याचिका पर फैसला करेगी. सेवानिवृत्त नौकरशाह रमेश चंद्र त्रिपाठी ने याचिका दाखिल की थी और मामले के अदालत से बाहर समाधान की संभावना तलाश करने का अनुरोध किया था. {mospagebreak}
मामले में सबसे पुराने पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी (90) भी एक अक्तूबर से पहले फैसला चाहते हैं. इसी दिन उच्च न्यायालय की अयोध्या पीठ के तीन न्यायाधीशों में से एक सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इस 60 साल पुराने विवाद में केंद्र के रुख के बारे में पूछे जाने पर प्रणव मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के सागरदीघी में कहा, ‘दोनों पक्षों को बातचीत के जरिये मामला सुलझाना चाहिए. यदि यह संभव नहीं है तो अदालत के फैसले को स्वीकारना चाहिए.’
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने लखनऊ में कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर दिया गया है जिसमें फैसला एक अक्तूबर तक करने की मांग की गयी है चूंकि इस दिन पीठ के एक न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘बातचीत से मामला नहीं सुलझ सकता क्योंकि अब तक इससे कोई नतीजा नहीं निकला है. कृपया उच्च न्यायालय को एक अक्तूबर तक फैसला सुनाने की अनुमति दी जाए, यह न्याय के हित में होगा क्योंकि एक न्यायाधीश उस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.’ {mospagebreak}
अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कहा कि उसने अयोध्या मामले में समाधान तलाशने के लिए सुलह की मांग वाली याचिका का विरोध करने का फैसला किया है और जल्द फैसले के लिए अदालत से गुहार लगाई है. हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने लखनउ में कहा, ‘हमने फैसला टाले जाने के लिए दाखिल याचिका के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया है.’
निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता रणजीत लाल वर्मा ने कहा है कि वह कल उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल करके अदालत से यह आग्रह करेंगे कि विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने के वास्ते और समय देने के लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला तीन महीने टाल दिया जाए और मामले के समयबद्ध निपटारे के लिये एक मध्यस्थ नियुक्त करके प्रक्रियाबद्ध तरीके से प्रयास किया जाए.
उन्होंने कहा कि इसके लिये 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति डी. वी. शर्मा का कार्यकाल तीन महीने के लिये बढ़ा दिया जाना चाहिये. वर्मा ने कहा कि यदि तीन महीने में आपसी बातचीत से मामले का समाधान नहीं होता है तो अदालत उसके बाद अपना फैसला सुना दे.