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TMC नेता कुणाल घोष ने छोड़ा प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता का पद, बोले- इस सिस्टम में फिट नहीं

तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने पार्टी के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने एक्स पर अपना बायो भी बदल लिया है और पार्टी का नाम हटाकर खुद को सिर्फ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता बताया है.

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टीएमसी नेता कुणाल घोष ने पार्टी के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा दिया. (File Photo)
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने पार्टी के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा दिया. (File Photo)

तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने पार्टी के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने आधिकारिक X हैंडल से किए एक पोस्ट में लिखा, 'मैं टीएमसी का प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता नहीं रहना चाहता. मैं सिस्टम में मिसफिट हूं. मैं पार्टी कार्यकर्ता बनकर रहना पसंद करूंगा. कृपया दलबदल की अफवाहों पर ध्यान दें'. उन्होंने X पर अपना बायो भी बदल लिया है और पार्टी का नाम हटाकर खुद को सिर्फ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता बताया है.

इससे पहले गुरुवार को एक पोस्ट में कुणाल घोष ने बिना किसी का नाम लिए कटाक्ष किया था. उन्होंने लिखा था कि कुछ नेता अक्षम, स्वार्थी और गुटबाजी करने वाले हैं. वे पूरे साल कामचोरी करते हैं और चुनाव करीब आने पर दीदी (ममता बनर्जी), अभिषेक (अभिषेक बनर्जी) और टीएमसी के नाम पर जीत हासिल करते हैं. ऐसा बार-बार नहीं होगा. जीत पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह पर निर्भर करती है, व्यक्तिगत लाभर-हानि पर नहीं. बता दें कि घोष पूर्व में टीएमसी के राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं.

कौन हैं कुणाल घोष?

कुणाल घोष पेशे से पत्रकार रहे हैं और एक प्राइवेट न्यूज चैनल के साथ-साथ कई अखबारों के लिए काम कर चुके हैं. घोष बंगाल की पहली निजी समाचार पत्रिका प्रभा के 'मैसेज एडिटर' के पद पर रहे हैं. वह 2013 के सारदा चिटफंड घोटाले में आरोपी भी हैं. उन्हें इस मामले में 24 नवंबर 2013 को ममता बनर्जी द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था. प्रवर्तन निदेशालय ने मार्च 2021 में सारदा चिटफंड मामले में टीएमसी नेता कुणाल घोष, शताब्दी रॉय और देबजानी मुखर्जी की 3 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी.

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सारदा चिटफंड घोटाला केस में आरोपी

कुणाल घोष मीडिया ग्रुप सारदा के सीईओ थे, जबकि टीएमसी नेता शताब्दी रॉय सारदा में ब्रांड एंबेसडर थीं. देबजानी मुखर्जी सारदा समूह की कंपनियों की निदेशक थीं. सारदा चिटफंड घोटाला केस में कुणाल घोष ने पश्चिम बंगाल पुलिस और सीबीआई की हिरासत में 34 महीने जेल में बिताए थे. उन्हें 5 अक्टूबर 2016 को जमानत मिली थी. घोष को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 2013 में टीएमसी से निलंबित कर दिया गया था. बाद में उन्हें पार्टी प्रवक्ता के पद पर बहाल कर दिया गया. 

सारदा चिटफंड घोटाले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कई नेता जांच के दायरे में हैं. प्रवर्तन निदेशालय अप्रैल 2013 से कथित पोंजी घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की जांच कर रहा है. सारदा समूह पर अपनी अवैध स्कीम्स में इंवेस्ट पर हाई रिटर्न का वादा करके हजारों डिपॉजिटर्स को ठगने का आरोप है. 

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