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SIR पर चर्चा के लिए संजय सिंह का राज्यसभा में नोटिस, बोले- 19 दिनों में 16 BLO की मौत

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इसपर चर्चा के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया है. सांसद ने कहा कि BLO काम के बोझ, निलंबन के डर से जूझ रहे हैं.

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सांसद संजय सिंह ने दावा किया कि बिहार में अनुचित तरीके से वोटर्स के नाम हटाए गए (फाइल फोटो- PTI)
सांसद संजय सिंह ने दावा किया कि बिहार में अनुचित तरीके से वोटर्स के नाम हटाए गए (फाइल फोटो- PTI)

आम आदमी पार्टी लीडर और सांसद संजय सिंह ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का मुद्दा राज्यसभा में उठाने की मांग की है. इसको लेकर सोमवार को संजय सिंह ने राज्यसभा में चर्चा के लिए नोटिस दिया. AAP सांसद ने आरोप लगाया कि देशभर में SIR के नाम पर घोटाला हो रहा है.

उन्होंने कहा, 'काम का बोझ, मानसिक तनाव व निलंबन के डर से मात्र 19 दिनों में एसआईआर कर रहे 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है. एसआईआर में मौजूदा मतदाताओं से नए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिसे जुटा पाना एक आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल है. इन कमियों को बिना सुधारे 12 राज्यों में एसआईआर कराने की जल्दबाजी ने बड़े पैमाने पर लोगों का मताधिकार छिनने का खतरा बढ़ा दिया है.'

सांसद ने अपील की है कि एसआईआर पर तत्काल रोक लगाकर मतदाता सूची बहाल की जाए और चुनाव आयोग की जवाबदेही तय की जाए.

संजय सिंह ने राज्यसभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों के नियम 267 (नियमों के निलंबन हेतु प्रस्ताव की सूचना) के अंतर्गत यह नोटिस दिया है. उन्होंने नोटिस में कहा है कि यह प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट और शुद्ध करना था, इसके उलट बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से नाम काटने, प्रक्रिया के घोर उल्लंघन और व्यापक मानवीय पीड़ा का कारण बन गई है. इसने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर दिया है.

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संजय सिंह ने दावा किया कि एसआईआर की वजह से बिहार में अनुचित तरीके से नाम हटाए गए हैं, जहां बिना किसी उचित सत्यापन के 65 लाख मतदाताओं के नाम काट दिए गए. कई विधानसभा क्षेत्रों में हटाए गए नामों की संख्या पिछले जीत के अंतर से भी अधिक है.

संजय सिंह ने आगे कहा, 'एसआईआर ने बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) पर असहनीय दबाव पैदा कर दिया है, जिससे एक मानवीय संकट खड़ा हो गया है. महज 19 दिनों के भीतर (नवंबर 2025 के अंत तक), कम से कम 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है, जिसमें आत्महत्याएं भी शामिल हैं.'

संजय सिंह ने कहा कि 2003 में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम छह से आठ महीनों (लगभग 243 दिन) में किया था, जिससे सत्यापन, सुधार और जांच के लिए पर्याप्त समय मिला था. इसके ठीक विपरीत, 2025 का एसआईआर घर-घर सत्यापन, दस्तावेजों की जांच और अंतिम सूची के प्रकाशन सहित पूरी प्रक्रिया को महज 97 दिनों में समेट रहा है.

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