पंजाब के शिरोमणि अकाली दल के अंदर उठ रहे प्रतिरोध का स्वर थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को पार्टी के बागी नेताओं ने 'शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर' की शुरुआत की. इस दौरान नेताओं ने कहा कि 103 साल पुराने संगठन को फिर से मजबूत करने के साथ पार्टी को ऊपर उठाने की जरूरत है. इसके अलावा इन नेताओं ने आरोप लगाया कि जो मौजूदा नेतृत्व है, उससे पार्टी के अस्तित्व को खतरा है. बागी ने नेताओं के इस अभियान के बाद शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि पार्टी के मुख्यालय में ऐसे नेताओं के लिए कोई जगह नहीं है, जो पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. पार्टी के कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर ऐसे तत्वों को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
पिछले महीने शिरोमणि अकाली दल के शीर्ष नेताओं का एक धड़ा पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से नाराज हो कर उन्हें पार्टी की कमान छोड़ने के लिए कहने लगा. ये नेता लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की हार से नाराज चल रहे हैं. इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक बठिंडा की सीट पर जीत मिली थी. हरसिमरत कौर ने यहां से जीत हासिल की थी.
इसके बाद प्रमुख नेताओं ने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करते हुए विरोध शुरू कर दिया है. प्रतिरोध करने वाले इन नेताओं में पूर्व सासंद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्वशिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की चीफ बीबी जागीर कौर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला, पू्र्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका, परमिंदर सिंह ढींडसा, सरवन सिंह फिल्लौर, सुरजीत सिंह रखरा और सुच्चा सिंह छोटेपुर शामिल हैं. इन बागी नेताओं ने सोमवार को पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला को मंच का संयोजक नियुक्त किया.
वडाला का बयान
शिरोमणि अकाली दल के बागी नेता गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि हम 'शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर' चला रहे हैं. हम सभी पंजाब के लोगों से ये आग्रह करते हैं कि वे इसका समर्थन करें. उन्होंने पंथ के समर्थकों से भी इस मुहिम में साथ आने के लिए कहा. वडाला ने आगे कहा कि हम पार्टी के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि हम पार्टी को मजबूत करें. इसके अलावा वाडला ने कहा कि पार्टी के अंदर जो हालात हैं, उससे पार्टी के अस्तित्व को खतरा है. पार्टी प्रमुख बादल पर निशाने साधते हुए वडाला ने बोला, लोगों ने बादल के 'कॉर्पोरेट कल्चर' को नकार दिया है.
वाडला ने अपने बयान में कहा कि वे उन नेताओं के भी संपर्क में हैं, जिन्हें पहले पार्टी से निकाल दिया गया था लेकिन वो आज भी शिरोमणि अकाली दल की विचारधारा को मानते हैं. वाडला उन्हें भी इस मुहिम से जोड़ने की बात कही है. आगे वाडला ने कहा कि वे सितंबर के महीने में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गुरुचरण सिंह तोहड़ा की 100 जयंती भी मनाएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिअद के पूर्व अध्यक्ष हरचंद सिंह लोंगोवाल की बरसी भी अगस्त में मनाई जाएगी.
वाडला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पार्टी को झुंडा कमेटी की रिपोर्ट भी लागू करनी चाहिए, जिसने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को बदलने की बात कही थी. अगर इस रिपोर्ट को दो साल पहले लागू कर दिया गया होता तो आज शिरोमणि अकाली दल की हालत कुछ और होती. वाडला ने कहा कि अकाली दल नेतृत्व की कमी से जूझ रही है. ये एक भारी समस्या है जिससे हम पार्टी को उबारने की कोशिश कर रहे हैं.
ये पूछे जाने पर कि क्या शिरोमणि अकाली दल के बागी नेता पार्टी के दफ्तर जाएंगे. उस पर वाडला ने कहा कि पार्टी का दफ्तर सबके लिए है. लेकिन वहां हम जबरदस्ती नहीं जाएंगे.
ऑफिस में कोई जगह नहीं
वही बागी नेताओं की बात करते हुए डॉ.दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की बैठक में सबको बुलाया गया था लेकिन बागी नेताओं ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया. इसके बाद बागी नेताओं ने पार्टी के खिलाफ ही मुहिम छेड़ दी और अब पार्टी के ऑफिस में बैठक करने का दवा कर रहे हैं, मैं बता दूं उनके लिए ऑफिस में कोई जगह नहीं है. चीमा ने कहा कि पार्टी का अपना संविधान है, जिसके तहत पार्टी का संचालन होता है और इसकी कमान सुखबीर सिंह बादल के हाथ में हैं. शिरोमणि अकाली दल में अध्यक्ष चुनने की एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है और पार्टी दफ्तर भी अध्यक्ष के दिशा निर्देश पर ही चलता है. शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा कर आप पार्टी दफ्तर पर अपना अधिकार नहीं जता सकते हैं.