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त्रिपुरा में साइबर ठगी पर बड़ा खुलासा... 2021 से अब तक 269 लोग बने शिकार, 51 करोड़ से ज्यादा की चपत

त्रिपुरा में साइबर अपराधियों ने बीते कुछ सालों में आम लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग धंकर ने बताया कि 2021 से अब तक राज्य के 269 लोग साइबर फ्रॉड के शिकार बने हैं. उन्हें कुल 51.49 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. ठगों के शिकंजे से अब तक करोड़ों रुपये बरामद या फ्रीज किए गए हैं, लेकिन घटनाओं ने लोगों की नींद उड़ा दी है.

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बीते कुछ सालों में त्रिपुरा में 51 करोड़ से ज्यादा की हुई साइबर ठगी. (Photo: Representational)
बीते कुछ सालों में त्रिपुरा में 51 करोड़ से ज्यादा की हुई साइबर ठगी. (Photo: Representational)

डिजिटल युग में जहां तकनीक ने लोगों की जिंदगी आसान बनाई है, वहीं साइबर अपराधियों ने इसी तकनीक का दुरुपयोग कर आम लोगों को भारी नुकसान पहुंचाया है. त्रिपुरा पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग धंकर ने एक कार्यक्रम में बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि साल 2021 से अब तक राज्य के लोगों से 51.49 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हो चुकी है.

एजेंसी के अनुसार, DGP के कहा कि साल 2021 में साइबर ठगी से 1.98 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. यह आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते 2024 में 25.54 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय से लोगों में जागरूकता बढ़ने के कारण मामलों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है.

पुलिस प्रमुख ने बताया कि अब तक कुल 269 लोग साइबर फ्रॉड के शिकार बने हैं. ठगों ने अलग-अलग तरीकों से इन लोगों को चूना लगाया. इनमें फर्जी बिजली और गैस बिल, धोखाधड़ी वाले निवेश स्कीम, पुलिस या आयकर अधिकारियों के नाम पर ठगी, ओटीपी चोरी, सोशल मीडिया पर परेशान करना, ऑनलाइन लॉटरी और होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म के जरिए धोखाधड़ी जैसी घटनाएं शामिल हैं.

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धंकर ने कहा कि साइबर अपराधियों की इस बड़ी जालसाजी में से अब तक 33.84 लाख रुपये बरामद किए गए हैं, जबकि लगभग 5.76 करोड़ रुपये 20,387 फ्रीज किए गए बैंक खातों में सुरक्षित हैं. पुलिस इन पैसों को पीड़ितों तक पहुंचाने के लिए कानूनी प्रक्रिया में जुटी है.

कार्यक्रम में DGP ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की. मोबाइल फोन या कंप्यूटर में केवल आवश्यक ऐप ही इंस्टॉल करें, पासवर्ड मजबूत रखें और समय-समय पर उन्हें बदलते रहें. सोशल मीडिया पर फैले फर्जी विज्ञापनों, खासकर 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे झांसे से दूर रहें. थोड़ी सी लापरवाही किसी को भी भारी पड़ सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल सुरक्षा को लेकर जागरूकता और सतर्कता ही साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा हथियार है.

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