तेलंगाना में बीआरएस से कांग्रेस में गए विधायकों के दलबदल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को कड़ी फटकार लगाते हुए अल्टीमेटम दे दिया है. चीफ जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सोमवार को तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर गद्दाम प्रसाद कुमार को चेतावनी देते हुए साफ शब्दों में कहा कि वह अगले हफ्ते तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करें, वरना अवमानना की कार्यवाही के लिए तैयार रहें.
जस्टिस बीआर गवई ने स्पीकर को चेतावनी देते हुए कहा, 'अब आपके पास दो रास्ते हैं. या तो अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करें, या अवमानना का सामना करें. हमने पहले ही साफ कर दिया है कि दलबदल मामलों में स्पीकर को कोई संवैधानिक इम्युनिटी नहीं मिलती. आप अनिश्चित काल तक याचिकाएं लंबित नहीं रख सकते.' सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब तलब किया है. साथ ही, स्पीकर से पूछा गया है कि आखिर 31 जुलाई के आदेश के बावजूद अब तक फैसला क्यों नहीं हुआ?
दरअसल, पिछले साल दिसंबर में बीआरएस के 10 विधायकों ने कांग्रेस जॉइन कर ली थी. इसके बाद बीआरएस ने संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की याचिका स्पीकर के पास दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को स्पीकर को सख्त निर्देश दिया था कि तीन महीने यानी 31 अक्टूबर 2025 तक इन याचिकाओं पर फैसला कर दें. लेकिन समयसीमा बीतने के बावजूद स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया, जिससे सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर मामले में दिए अपने ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि स्पीकर को राजनीतिक दबाव में आकर याचिकाएं लटकाने का कोई अधिकार नहीं है. सीजेआई बीआर गवई की पीठ ने कहा, 'स्पीकर का पद संवैधानिक है, लेकिन दलबदल मामलों में वह पार्टी के एजेंट की तरह काम नहीं कर सकता.' अब सभी की निगाहें तेलंगाना स्पीकर पर टिकी हैं. अगर अगले हफ्ते तक फैसला नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट स्पीकर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकता है. यह मामला न सिर्फ तेलंगाना बल्कि पूरे देश में दलबदल कानून को परिभाषित कर सकता है.