कोविड-19 महामारी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि अगर अस्पताल या क्लिनिक खुला रहा और डॉक्टर कोविड संक्रमण से मरा, तो उसे बीमा मिलना चाहिए- चाहे वह अस्पताल 'कोविड सेंटर' घोषित न हुआ हो.
डॉक्टरों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें ऐसे डॉक्टरों को 50 लाख का बीमा लाभ देने से इनकार कर दिया गया था, जिनके अस्पताल कोविड सेंटर घोषित नहीं हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर लॉकडाउन में अस्पताल/क्लीनिक खुला रहा और डॉक्टर की मौत कोविड से हुई, तो उन्हें बीमा लाभ मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में एक विस्तृत आदेश पारित करेगा.
ये जांच अनावश्यक: SC
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उनके अनुसार, अस्पताल को 'कोविड सेंटर' घोषित किया गया था या नहीं, ये जांच अनावश्यक है. कोर्ट ने कहा कि हमारी राय में, यदि अस्पताल/क्लिनिक खुला रहा और डॉक्टर की मौत कोविड संक्रमण के कारण हुई तो उन्हें बीमा लाभ मिलना चाहिए. ये टिप्पणी उन डॉक्टरों के परिजनों के लिए बड़ी राहत ला सकती है जिन्हें पहले बीमा लाभ से वंचित कर दिया गया था.
बीमा लाभ का न हो दुरुपयोग
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि वह बीमा लाभ का अनावश्यक विस्तार या दुरुपयोग नहीं चाहता. कोर्ट ने कहा है कि हम एक सिद्धांत तय करेंगे कि बीमा दावे के लिए कौन पात्र है. ये सिद्धांत पात्रता की सीमा तय करने में मदद करेगा. इसके बाद बीमा कंपनियां दावे की जांच कर सकेंगी और उसकी प्रक्रिया पूरी कर सकेंगी.
क्या है मामला
दरअसल, ये पूरा विवाद 50 लाख रुपये के जीवन बीमा लाभ को लेकर है जो उन डॉक्टरों के लिए था, जिन्हें 'कोविड ड्यूटी के लिए ड्राफ्ट' किया गया था या जो लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों/क्लीनिकों में काम कर रहे थे. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इन दोनों तरह के डॉक्टरों के बीमा योजनाओं में अंतर किया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश तय करेगा कि क्या दोनों श्रेणियों के डॉक्टर समान बीमा योजनाओं के हकदार हैं या नहीं.