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दादी-नानी की कहानियों को नया रूप, छात्रा शिवांगिनी ने केंद्रीय मंत्री को भेंट की अपनी पुस्तक

शिवांगिनी की यह पुस्तक हरियाणा की लोकपरंपराओं, हास्य और जीवन के अनुभवों से भरी कहानियों को आधुनिक पाठकों के लिए नए दृष्टिकोण से पेश करती है. इसमें उन लोककथाओं को दोबारा लिखा गया है, जो बुजुर्गों की ज़ुबान से सुनाई जाती रही हैं.

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शिवांगिनी चौधरी ने हरियाणा की संस्कृति को बचाने के लिए यह पुस्तक लिखी है (Photo- Amazon.in)
शिवांगिनी चौधरी ने हरियाणा की संस्कृति को बचाने के लिए यह पुस्तक लिखी है (Photo- Amazon.in)

भारतीय लोकसंस्कृति और मौखिक परंपराओं के संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास करते हुए, युवा लेखिका शिवांगिनी चौधरी ने अपनी पुस्तक "Sir Buzz and Other Stories – A Retelling of Haryanvi Folktales" भारत सरकार के संस्कृति राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को भेंट की.

द श्री राम स्कूल, मौलसरी की कक्षा 12 की छात्रा शिवांगिनी ने अपनी पुस्तक में हरियाणा की सदियों पुरानी लोककथाओं को समकालीन पाठकों के लिए एक नए और आकर्षक अंदाज़ में प्रस्तुत किया है.

नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पुस्तक भेंट करते हुए, शिवांगिनी के प्रयास की संस्कृति राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने जमकर सराहना की. मंत्री महोदय ने कहा कि युवाओं द्वारा भारतीय लोकसंस्कृति के संरक्षण के ऐसे प्रयास देश की अमूर्त विरासत को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं. उन्होंने लोककथाओं को आधुनिक रूप में सहेजने के लिए शिवांगिनी के जुनून को सराहा.

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'दादी-नानी की कहानियां' बनी प्रेरणा

अपनी पुस्तक लिखने की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए शिवांगिनी चौधरी ने कहा, "आज दादी-नानी से सुनी कहानियां कहीं खोती जा रही हैं. मैंने सोचा कि इन लोककथाओं को नए रूप में प्रस्तुत किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी भी हरियाणा की संस्कृति की उस सुगंध को महसूस कर सके."

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यह पुस्तक शिवांगिनी के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट विरासत' का परिणाम है, जो भारत की पारंपरिक कला और मौखिक परंपराओं के संरक्षण के लिए समर्पित है. महामारी के दौरान भी उन्होंने राजस्थान के बर्नावा गांव में लंगा संगीतकारों के बच्चों के साथ मिलकर पारंपरिक वाद्ययंत्रों की व्यवस्था करने और संगीत विद्यालय की नींव रखने जैसे सराहनीय कार्य किए थे, जिसे यूनेस्को और राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा सराहा गया था.

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