महाराष्ट्र के डीजीपी संजय पांडे की जगह अब रजनीश सेठ को डीजीपी की जिम्मेदारी दी गई है. अपने पद से जाते हुए संजय पांडे ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया. उन्होंने बताया कि उनकी ईमानदारी पर शक किया गया, जिससे उनके लिए डीजीपी के तौर पर काम करना असंभव हो गया था.
'डीजीपी के तौर पर काम करना असंभव हो गया था'
उन्होंने ट्विटर पर लिखा- मुंबई उच्च न्यायालय में कानूनी बहस के दौरान, मेरी ईमानदारी पर हमला करने वाली निराधार टिप्पणी की गई थी, जिससे मेरे लिए डीजीपी के तौर पर काम करना असंभव हो गया था. इसलिए इसे सही परिप्रेक्ष्य में रखना उचित समझा.
unfounded remarks attacking my integrity were made during legal discourse in Mumbai high court making it untenable for me to continue as dgp.Thought it apt to put this in right perspective https://t.co/q0D5vc2NLp
— Sanjay Pandey (@sanjayp_1) February 19, 2022
सोशल मीडिया पर दिए गए अपने बयान में संजय पांडे ने कहा, 'पुलिस महानिदेशक का पद ऐसा पद है जिसके लिए जेब में त्यागपत्र तैयार रखना होता है. अनिर्धारित रिक्ति को देखते हुए जब मुझे डीजीपी कार्यालय की जिम्मेदारी दी गई, तो मैंने असंख्य जिम्मेदारियां निभाते हुए, पुलिसकर्मी के तौर पर लंबे करियर के अंत की तरफ कदम रखा था.
'मेरे काम को कमजोर करने के लिए कई प्रयास किए गए'
आज, मैंने इस अतिरिक्त प्रभार को साहस के साथ छोड़ दिया है. इन 10 से ज़्यादा महीनों में, मुझे कुछ अहम दीर्घकालिक नीतिगत परिवर्तन करने का मौका मिला है, जिसमें पुलिसकर्मियों के लिए काम करना आसान बनाने के साथ ही, पुलिस बल में पुरुषों और महिलाओं को आगे बढ़ाना शामिल है.'
उन्होंने आगे कहा, 'अतीत में मेरे काम को कमजोर करने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन मुझे वास्तव में ईमानदारी से किए गए काम के लिए पहचान मिली है. हाल के दिनों में, सिस्टम ने अतीत में मेरे करियर के रिकॉर्ड के साथ किए गए कुछ अन्याय को दूर करने का काम किया है. मैं इस पद को छोड़ते हुए ये बताना चाहता हूं कि मैं न तो डीजीपी के रूप में अतिरिक्त प्रभार लेने के लिए तरस रहा था और न ही जिम्मेदारी दिए जाने के बाद मैं विचलित हुआ.
'रीढ़ की हड्डी वाले पुलिसकर्मी को विवादास्पद मोड़ों का सामना करना पड़ता है'
सेना में तैनात पुरुषों और महिलाओं के प्रति, मैं उनके विश्वास और सहयोग के लिए अपना आभार व्यक्त करता हूं. उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि उनके करियर में भी आने वाले मोड़ और अनियोजित उतार-चढ़ाव पाठ्यक्रम की तरह ही हैं. अपनी रीढ़ को मजबूत करें और उनका सामना करें. इतने लंबे पुलिस करियर के दौरान, रीढ़ की हड्डी वाले पुलिसकर्मी को विवादास्पद मोड़ों का सामना करना पड़ता है, जो शासन की खास बात है.'
आपको बता दें कि संजय पांडे के पास अभी तक महाराष्ट्र डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार था. वे महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे. लेकिन जब सुबोध जायसवाल को डीजीपी के पद से स्थानांतरित कर दिया गया, तब कुछ समय के लिए ये जिम्मेदारी संजय पांडे को सौंप दी गई थी. हालांकि, महाराष्ट्र के लिए लगातार पूर्णकालिक डीजीपी की मांग हो रही थी. इसलिए अब राज्य सरकार ने रजनीश सेठ को ये जिम्मेदारी दे दी है. रजनीश 1988 कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. डीजीपी बनने से पहले वे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में बतौर महानिदेशक काम कर रहे थे.