17 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आक्रोश और चिकित्सा बिरादरी की हड़ताल के बीच सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी मुद्दे पर एक याचिका दायर की गई है. चीफ जस्टिस को प्रेषित इस पत्र याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 9 अगस्त को कोलकाता में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की भयावह और शर्मनाक घटना का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है.
याचिकाकर्ता आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, सिकंदराबाद की बीडीएस डॉ. मोनिका सिंह के वकील सत्यम सिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि 14 अगस्त को गुंडों द्वारा आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर किए गए हमले की भी निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए.
पत्र में मामले के लंबित रहने तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने की गुहार की गई है. इसमें तर्क दिया गया है कि हमले और अपराध स्थल पर हुई बर्बरता को रोकने में स्थानीय कानून और प्रवर्तन एजेंसियों की विफलता को देखते हुए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है.
आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, सिकंदराबाद की बीडीएस डॉ. मोनिका सिंह ने चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को पत्र भेजा है. उसमें उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों पर क्रूर हमलों की चिंताजनक घटनाओं की लगातार बढ़ती घटनाओं का हवाला दिया है. खास तौर पर कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में हुई हाल की घटना का जिक्र है. उसमें एक पीजी प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.
इसमें कहा गया है कि चिकित्सा पेशेवरों पर क्रूर हमलों से जुड़ी हाल की घटनाएं निजी त्रासदी के साथ ही उन लोगों के सामने आने वाले गंभीर जोखिमों की भी भयावह याद दिलाती हैं जो जीवन बचाने के लिए अथक परिश्रम करते हैं. इससे ऐसे महत्वपूर्ण व्यवसायों में व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए चिंता और बढ़ जाती है.
इसमें कहा गया है कि भारत में डॉक्टर जीवन बचाने और समाज की सेवा करने के लिए 10 से 11 साल तक कठोर शिक्षा और प्रशिक्षण, जिसमें मेडिकल स्कूल और रेजीडेंसी भी शामिल है, समर्पित करते हैं. उनकी प्रतिबद्धता में कई सालों तक बिना सोए रहना, गहन अध्ययन और व्यावहारिक अनुभव शामिल है.
याचिका में कहा गया है कि हमलों से अस्पताल का संचालन बुरी तरह बाधित हुआ है. चिकित्सा कर्मियों में भय भर गया है. कॉलेज और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती जरूरी है. इसमें कहा गया है कि कोलकाता की घटना ने चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों का मनोबल घटाया है. देश भर में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है.
सिंह ने हमलों की गहन एवं निष्पक्ष जांच तथा देश भर के चिकित्सा संस्थानों के लिए व्यापक सुरक्षा उपाय किए जाने की मांग की. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इन घटनाओं से भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें जीवन का अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अपना पेशा अपनाने का अधिकार शामिल है. याचिका में अदालत से चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा उपाय बढ़ाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.
इसमें कहा गया है, 'आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर हमला हिंसा की एक अलग घटना मात्र नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर सीधा हमला है. यह उन लोगों की सुरक्षा को कमजोर करता है, जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. कानून के शासन में विश्वास बहाल करने और हमारे चिकित्सा संस्थानों के निर्बाध कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से त्वरित और निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है.'
नौ अगस्त को हत्या के पांच दिन बाद 14 अगस्त को अज्ञात बदमाशों ने गुरुवार आधी रात के बाद सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के परिसर में कथित तौर पर प्रवेश किया और चिकित्सा सुविधा के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की, जहां पिछले सप्ताह एक महिला डॉक्टर का शव मिला था. यह घटना अस्पताल में डॉक्टर के साथ हुए भयानक बलात्कार-हत्या के खिलाफ महिलाओं द्वारा मध्य रात्रि में किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई.
पुलिस के अनुसार, कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों के वेश में लगभग 40 लोगों का एक समूह अस्पताल परिसर में घुस गया, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्हें आंसू गैस के गोले दागने पड़े. घटना में मौके पर मौजूद एक पुलिस वाहन और कुछ दोपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए. हमलावरों ने न केवल संस्थान की संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया, बल्कि छात्रों, शिक्षकों और मरीजों की सुरक्षा को भी खतरे में डाला.
इसमें कहा गया है कि सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि प्रारंभिक हमले के बाद, अपराध स्थल पर तोड़फोड़ की गई, जिससे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गए. स्टाफ सदस्य लगातार धमकियों और डराने-धमकाने की रिपोर्ट कर रहे हैं, जिससे चिकित्सा समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बन रहा है.