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वहां मिलिट्री नहीं थी, हम जब नीचे आए तो सबको पता चला... पहलगाम में बचे मिहिर सोनी ने बताया क्या कैसे हुआ 

धर्म पूछकर गोली मारने की बात पर घटनास्थल पर मौजूद रहे मिहिर ने कहा कि वह आतंकवादियों की बातें साफ नहीं सुन पाए, क्योंकि वे काफी दूर थे. यह तो नहीं बता सकता कि आतंकवादी क्या पूछ रहे थे, लेकिन बात करने के बाद ही गोली मार रहे थे. मिहिर ने बताया कि हमले के कुछ देर बाद जब हम नीचे की ओर आए, तब जाकर मिलिट्री को इस घटना की जानकारी मिली.

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जिस समय पहलगाम में आतंकी हमला हुआ मिहिर वहीं पर थे
जिस समय पहलगाम में आतंकी हमला हुआ मिहिर वहीं पर थे

पहलगाम में हुए आतंकी हमले की गूंज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई दे रही है. देशभर में इस नृशंस हमले को लेकर गुस्सा है और लोग पाकिस्तान व आतंकवादियों से कड़ा बदला लेने की मांग कर रहे हैं. इस बीच, हमले के वक्त वहीं मौजूद रहे मिहिर सोनी ने आजतक से बातचीत में अपनी आपबीती साझा की. मिहिर ने बताया जहां यह घटना हुई वहां आसपास कोई मिलिट्री वाला नहीं था न ही पुलिस वाले. जब गोलियों की आवाज आई तो हम चौंक गए. जान बचाने के लिए वही छुप गए.

धर्म पूछकर गोली मारने की बात पर मिहिर ने कहा कि वह आतंकवादियों की बातें साफ नहीं सुन पाए, क्योंकि वे काफी दूर थे. यह तो नहीं बता सकता कि आतंकवादी क्या पूछ रहे थे, लेकिन बात करने के बाद ही गोली मार रहे थे. मिहिर ने बताया कि हमले के कुछ देर बाद जब हम नीचे की ओर आए, तब जाकर मिलिट्री को इस घटना की जानकारी मिली. मिहिर ने बताया, हमने नीचे आकर जब सुरक्षाबलों को बताया, तब वो ऊपर की तरफ दौड़े. मिहिर ने यह भी बताया कि जब उन्होंने नीचे आने की कोशिश की, तब उनका घोड़े वाला भाग चुका था. स्थानीय लोगों ने पैदल न जाने की सलाह दी. फिर किसी दूसरे घोड़े वाले से चार हजार रुपये में बात बनाकर वो लोग नीचे आए.

हुगली के चंचल ने भी बयां की दास्तां : 

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कश्मीर में फंसे हुगली निवासी चंचल दे पहलगाम की दर्द दास्तां बयां करते हुए बताया कि जहां यह हादसा हुआ वहां से वह कुछ ही किलोमीटर दूर टैक्सी स्टैंड पर थे. तभी एकाएक चीख पुकार और लोगों के भागने का मंजर देखा. घबराहट और डर के मारे उन्हें कुछ नहीं समझ रहा था. तभी स्थानीय लोगों की सलाह पर उन्होंने होटल को फोन किया, वहां से जैसे ही कार उनके पास पहुंची सभी लोग होटल की ओर रवाना हो गए. रास्ते में जब वह वापस लौट रहे थे भारी संख्या में सिर्फ एंबुलेंस की सायरन सुनाई दे रही थी. सड़कों पर भारतीय सेना की गाड़ियां नजर आ रही थी. इस भयानक मंजर को देखकर उनके 8 साल का बेटा इतना डर गया कि वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था. डर के मारे परिवार के लोग रात भर सो नहीं पाए.

सेना ने पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया

इस हमले में महाराष्ट्र के छह लोगों की जान गई है. धाराशिव जिले के दो परिवार इस घटनास्थल से महज दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर थे. इन पर्यटकों ने 'मुंबई तक' से बातचीत में अपना भयावह अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा। जब हमला हुआ, हम वहां से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर थे. हमारे ड्राइवर ने बताया कि कुछ गड़बड़ हुई है, हमें तुरंत वहां से निकलना चाहिए. सुबह से हम देख रहे थे कि माहौल पूरी तरह शांत और सकारात्मक था. स्थानीय लोगों से बातचीत के दौरान कहीं भी आतंक का डर नहीं लगा.  लेकिन अचानक जो कायरतापूर्ण हमला हुआ, उसने हमें हिला दिया. लौटते समय दिखा कि सेना ने पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया था. बड़ी संख्या में एम्बुलेंस दौड़ रही थीं, जिससे उन्हें बड़ी घटना होने का अंदेशा हुआ. 

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( इनपुट: भोलानाथ साहा और गणेश सुभाष जाधव )

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