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क्या बदलेगा, विवाद क्यों है? मनरेगा की जगह आ रहे 'जी राम जी' बिल पर पढ़ें हर जरूरी सवाल का जवाब

MGNREGA का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है. इसके तहत हर उस परिवार को एक फाइनेंशियल साल में कम से कम 100 दिन का गारंटीड मजदूरी वाला रोजगार दिया जाता है. जहां MGNREGA का फोकस "आजीविका सुरक्षा बढ़ाने" के लक्ष्य पर था, वहीं नया बिल कहता है कि इसका मकसद "एक समृद्ध और मजबूत ग्रामीण भारत के लिए सशक्तिकरण, विकास, तालमेल और सभी तक पहुंच" को बढ़ावा देना है.

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रोजगार के नए बिल में 125 दिन काम की गारंटी है. (File Photo: PTI)
रोजगार के नए बिल में 125 दिन काम की गारंटी है. (File Photo: PTI)

देश में ग्रामीण रोजगार का की पूरी तस्वीर बदलने वाली है. केंद्र सरकार यूपीए के फ्लैगशिप योजनाओं में शुमार रही ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून मनरेगा (MNREGA) को खत्म कर दूसरा बिल लाने वाली है. इस बिल को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज लोकसभा में पेश करेंगे. 

VB-G RAM G बिल का पूरा नाम Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) है. इस बिल के अनुसार यह बिल हर ग्रामीण परिवार को एक फाइनेंशियल ईयर में 125 दिनों के वेतन वाली रोजगार की कानूनी गारंटी देगा, ये रोजगार वैसे लोगों को मिलेगा जिस परिवार के वयस्क सदस्य बिना किसी खास स्किल वाले शारीरिक काम करने के लिए तैयार होंगे. 

VB-G RAM G एक्ट शुरू होने की तारीख से छह महीने के अंदर, राज्यों को नए कानून के प्रावधानों के हिसाब से एक योजना बनानी होगी. 

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित कानून 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक आधुनिक कानूनी ढांचा स्थापित करेगा.

मंत्रालय ने कहा कि इस बिल का मकसद चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के जरिए रोजगार और टिकाऊ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है. ये चार मुद्दे हैं पानी से जुड़े कामों के ज़रिए पानी की सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और खराब मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए खास काम. 

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यूपीए सरकार की मनरेगा योजना और एनडीए सरकार का VB-G RAM G बिल कैसे एक दूसरे से अलग है. 

रोजगार के दिन

मनरेगा में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी है, जबकि VB-G RAM G बिल में सरकार ने हर घर के व्यस्क व्यक्ति को 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है. 

रोजगार की फंडिंग

मनरेगा

केंद्र सरकार: अकुशल मजदूरी की लागत का 100% और सामग्री की लागत का 75% वहन करती है. 

राज्य सरकारें: सामग्री की लागत का शेष 25% और बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करती हैं, साथ ही प्रशासनिक लागत भी साझा करती हैं. 

G RAM G 

जी राम जी बिल यूं तो केंद्र द्वारा स्पॉन्सर्ड बिल है. लेकिन वित्तीय जिम्मेदारी राज्य और केंद्र मिलकर उठाएंगे. पूर्वोत्तर और हिमालय बेल्ट के राज्यों में 90 फीसदी फंडिंग केंद्र की होगी जबकि 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी. 

जबकि दूसरे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में केंद्र की हिस्सेदारी 60 फीसदी और राज्य की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत होगी.  

60 दिनों का ब्रेक पीरियड 

मनरेगा और VB-G राम-जी विधेयक में एक बड़ा फर्क का ब्रेक पीरियड का है. नई स्कीम में खेती वाले सीजन में रोजगार गारंटी को 60 दिनों के लिए अस्थायी तौर पर रोक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि खेतों में काम न रुक पाए. रिपोर्ट के अनुसार खेती वाले पीक सीजन में इस अधिनियम के तहत कोई काम नहीं कराया जाएगा.

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केंद्र का कहना है कि MGNREGA के काम बिना किसी मजबूत राष्ट्रीय रणनीति के कई कैटेगरी में फैले हुए थे. नया एक्ट 4 मुख्य तरह के कामों पर फोकस करता है, जो पानी की सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और जलवायु अनुकूलन में मदद करते हैं. 

नया एक्ट विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को अनिवार्य करता है, जिन्हें पंचायतों द्वारा खुद तैयार किया जाता है और PM गति-शक्ति जैसे राष्ट्रीय योजनाओं के साथ इंटीगरेट किया जाता है.

नई स्कीम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा

यह एक्ट प्रोडक्टिव एसेट बनाने, ज्यादा इनकम और बेहतर लचीलेपन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है. इस स्कीम में पानी से जुड़े कामों को प्राथमिकता दी जाएगी. गावों में बुनियादी विकास पर जोर दिया जाएगा. सड़कें, कनेक्टिविटी और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा. ताकि बाजार इन इलाकों तक पहुंच पाए. 

इसके अलावा भंडारण, बाजार , इनकम डाइवर्सीफिकेशन पर जोर दिया जाएगा. नया स्कीम जल संचयन, बाढ़ जल निकासी और मिट्टी संरक्षण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रामीण आजीविका की रक्षा करता है. 

ग्रामीण इलाकों में रोजगार की उपलब्धता से प्रवासन में कमी आएगी. 

मजदूरों को क्या फायदा होगा

मजदूरों को नौकरी की गारंटी लंबे समय तक मिल सकेगी. उन्हें बेहतर मजदूरी मिलेगी, इलेक्ट्रॉनिक मज़दूरी (2024-25 में पहले ही 99.94%) पूरी बायोमेट्रिक और आधार-आधारित वेरिफिकेशन के साथ जारी रहेगी, जिससे मज़दूरी की चोरी पूरी तरह से खत्म होगी. 

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हाइपरलोकल विकसित ग्राम पंचायत प्लान यह पक्का करेंगे कि काम पहले से प्लान किया होगा. 

अगर मजदूरों को काम नहीं दिया जाता है, तो राज्यों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा. 

बेहतर सड़कें, पानी और आजीविका से जुड़ी संपत्तियों का निर्माण मजदूरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं. इससे उनकी जीवन शैली बदलती है. 

मनरेगा को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?

MGNREGA 2005 में बनाया गया था लेकिन इसके बाद अगले 20 सालों में ग्रामीण भारत बदल गया है. कई सरकारी एजेंसियों ने अपने सर्वे में बताया है कि लोगों में खर्च करने की क्षमता बढ़ी है. आय और फाइनेंशियल एक्सेस के कारण गरीबी 25.7% (2011–12) से घटकर 4.86% (2023–24) हो गई है. 

मज़बूत सोशल प्रोटेक्शन, बेहतर कनेक्टिविटी, ज़्यादा डिजिटल एक्सेस और ज़्यादा विविध ग्रामीण आजीविका के साथ पुराना ढांचा अब आज की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रहा था. इस स्ट्रक्चरल बदलाव को देखते हुए, MGNREGA का ओपन-एंडेड मॉडल पुराना हो गया था. 
VB – G RAM G बिल सिस्टम को आधुनिक बनाता है, गारंटी वाले दिनों को बढ़ाता है और प्राथमिकताओं पर फिर से ध्यान केंद्रित करता है. 

नए एक्ट में कौन से पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा के उपाय शामिल हैं?

नए बिल में AI से धोखाधड़ी का पता लगाया जाएगा. इन योजनाओं की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संचालन समितियां चलाएंगी. इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए 4 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा. पंचायतों के लिए बेहतर निगरानी भूमिका हो सकेगी.
इस स्कीम से GPS/मोबाइल से काम की निगरानी हो सकेगी. रियल-टाइम MIS डैशबोर्ड से काम की तरक्की का पता लगाया जा सकेगा.

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