मद्रास हाईकोर्ट ने 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाता सूची में कथित हेराफेरी के आरोपों पर भारत निर्वाचन आयोग से स्पष्टीकरण मांगने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया. अदालत ने याचिका को "पूरी तरह भ्रांतिपूर्ण" और बिना ठोस साक्ष्य के बताते हुए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. ये राशि तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को जमा करानी होगी.
इस याचिका में भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह 2024 के आम चुनावों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर कथित हेराफेरी के आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे. ये आरोप लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस में पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए लगाए गए थे. याचिका में इन आरोपों और प्रति-आरोपों के आधार पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा गया था.
कोर्ट का फैसला
मद्रास हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान इसे पूरी तरह से आधारहीन करार दिया. अदालत ने कहा कि याचिका में कोई ठोस सामग्री या बुनियादी साक्ष्य नहीं हैं, और ये केवल कुछ मंचों पर लगाए गए आरोपों और प्रति-आरोपों पर आधारित है. कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि याचिका अस्पष्ट है और इसमें आवश्यक तथ्यों और विवरणों का पूर्ण अभाव है.
आयोग को निर्देश नहीं
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह निर्वाचन आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती. इसलिए याचिका को 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और निर्वाचन आयोग स्वतंत्र है कि वह उठाए गए मुद्दों पर स्वयं अपने निर्णय ले.
कोर्ट ने लगाया जुर्माना
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का नकद जुर्माना भी लगाया. अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने की यह रकम तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करनी होगी. इस जुर्माने का मकसद ऐसी याचिकाओं को हतोत्साहित करना है, जिनमें बिना किसी पुख्ता आधार के सिर्फ आरोप लगाए जाते हैं.