कांग्रेस के दिग्गज नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में बड़ा झटका लगा है. कर्नाटक की एक स्पेशल कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को MUDA मामले में जांच जारी रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने क्लीन चीट को स्वीकार नहीं किया.
स्पेशल कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा प्रस्तुत 'बी रिपोर्ट' पर फैसले को टाल दिया, जिसमें सिद्धारमैया को किसी भी गलत काम से मुक्त कर दिया गया था. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने इस क्लीन चिट को चुनौती दी थी.
कोर्ट ने पहले सोमवार के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन जांच अभी भी अधूरी होने के कारण मामला अब 7 मई तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
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अपने आदेश में कोर्ट ने साफ कर दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को MUDA मामले में 'बी रिपोर्ट' पर आपत्ति याचिका दायर करने का अधिकार है. लोकायुक्त पुलिस को जांच आगे बढ़ाने की औपचारिक रूप से स्वीकृति दे गई है. MUDA मामले के अन्य आरोपियों की जांच अभी भी जारी रहेगी.
कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि मामले में जब तक जांच पूरी नहीं जाती, तब तक वह अंतिम फैसला नहीं सुनाएगी.
क्या है कर्नाटक का MUDA केस?
कर्नाटक का MUDA केस भूमि घोटाले से जुड़ा है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार पर आरोप लगे हैं. आरोप है कि 2010 में 3.16 एकड़ भूमि मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने गिफ्ट के तौर पर दे दिया था. हालांकि, MUDA द्वारा जब इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था तो पार्वती ने मुआवजे की मांग की. उन्हें 14 प्लॉट दिए गए, जो मूल भूमि से कहीं अधिक मूल्यवान हैं. विपक्ष का आरोप है कि करीब 3000 से 4000 करोड़ रुपये का स्कैम किया गया है.
MUDA कर्नाटक राज्य में शहरी विकास और भूमि प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख सरकारी संस्था है. हालांकि, इसके कामकाज और भूमि आवंटन प्रक्रियाओं को लेकर विवाद उत्पन्न हुए हैं.