कर्नाटक के बेलगाम जिले में गन्ना किसानों का धरना प्रदर्शन सातवें दिन उस वक्त हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने पुणे-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर पथराव किया. किसानों ने सुवर्ण सौधा (बेलगाम में स्थित कर्नाटक राज्य का दूसरा विधानमंडल भवन) के पास राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया. उग्र किसानों ने स्थिति संभालने के लिए तैनात एक पुलिस बस पर पत्थर फेंके, जिससे बस का शीशा टूट गया और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. आक्रोशित किसानों ने नारे लगाते हुए कहा कि सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है.
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और पथराव करने वाले कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. कर्नाटक रक्षण वेदिके के सदस्यों ने भी राजमार्ग ब्लॉक किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया. जिला बार एसोसिएशन के कुछ सदस्य भी गुरलापुर में प्रदर्शन में शामिल हो गए. इधर, राजधानी बेंगलुरु स्थित विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने 5 नवंबर को किसानों को आश्वासन दिया था कि सीएम 6 नवंबर को किसानों से और 7 नवंबर को चीनी मिल मालिकों से मिलेंगे.
शरारती तत्वों ने किया पथराव
किसानों के विरोध प्रदर्शन और उसके दौरान हुई पथराव की घटना पर, बेलगाम के एसपी डॉ. भीमाशंकर एस. गुलेड़ ने कहा, 'किसान संगठन राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ गए थे. पुलिस द्वारा राजमार्ग खाली करने के कहने के बावजूद, वे नहीं हटे. जब पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तो कुछ लोगों- संभवतः उपद्रवियों- ने पथराव शुरू कर दिया. उस समय, पुलिस ने अपनी समझदारी और संयम से कोई बल प्रयोग नहीं किया. इसके बाद, हमने किसान नेताओं को विश्वास में लिया और उनसे बात की.'
एसपी ने कहा, 'हमने किसानों से कानून अपने हाथ में न लेने या हिंसा का सहारा न लेने का अनुरोध किया. किसानों ने हमारा अनुरोध मान लिया. मैं किसानों से फिर अपील करता हूं कि वे कानून अपने हाथ में न लें और कुछ षड्यंत्रकारियों के हाथों में न पड़ें. कुछ वाहनों को नुकसान पहुंचा है और 6 पुलिस कर्मियों को चोटें आई हैं. हम वाहनों को हुए नुकसान का आकलन कर रहे हैं. हमें मामला दर्ज करना होगा, उपद्रवियों की पहचान करनी होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. किसी भी निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.'
गन्ना किसानों की क्या है मांग?
किसान संगठनों की कर्नाटक सरकार से मांग है कि गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 3500 रुपये प्रति टन किया जाए, जबकि केंद्र सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस (FRP) 3550 रुपये प्रति टन तय किया है. लेकिन किसानों का कहना है कि गन्ने की कटाई और परिवहन लागत हटाने के बाद उनके हाथ में महज 2,600 से 3,000 रुपये ही बचते हैं. वहीं पड़ोसी महाराष्ट्र में चीनी मिलें किसानों को गन्ने का मूल्य 3,410-3,500 रुपये प्रति टन दे रही हैं, जिससे कर्नाटक के किसान आक्रोशित हैं.
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कर्नाटक के गन्ना किसानों की मांग है कि एफआरपी के बाद राज्य सरकार उन्हें 500 रुपये प्रति टन के हिसाब इंसेंटिव दे. इसके लिए वे राज्य की कांग्रेस सरकार से 5,000 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड घोषित करने की मांग कर रहे हैं. गुरलापुर में शुरू हुआ यह अनिश्चितकालीन धरना अब पूरे उत्तर कर्नाटक में फैल चुका है. हजारों किसान चीखोड़ी, अथनी, जंबोटी, गोकाक और मुदलगी जैसे कस्बों में सड़कों पर उतर आए हैं. कन्नड़ संगठनों का समर्थन मिलने से प्रदर्शन और तीव्र हो गया है.
राज्य की 26 चीनी मिलें प्रभावित
किसान नेता सिद्धगौड़ा मोडगी ने कहा, 'महाराष्ट्र कर सकता है तो कर्नाटक क्यों नहीं? गन्ने से मिलने वाले बायोप्रोडक्ट्स जैसे इथेनॉल, मोलासेस और बायो-एनर्जी के लाभ का हिस्सा किसानों को मिलना चाहिए. 1966 के गन्ना नियंत्रण आदेश के तहत मिलों को 14 दिनों में भुगतान करना होता है, लेकिन कई मिलें 10 साल पुराने बकाया चुकाने से बच रही हैं.' किसान नेता चोनप्पा पुजारी ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार ने गन्ने की एमएसपी 3500 रुपये प्रति टन घोषित नहीं की, तो आंदोलन और तेज होगा. गन्ना किसानों के इस प्रदर्शन के चलते कर्नाटक में 26 चीनी मिलें प्रभावित हैं, जिससे चीनी उत्पादन ठप है. बता दें कि पूरे कर्नाटक का 35% गन्ना उत्पादन अकेले बेलगाम जिले में होता है.