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कैसे भरोसेमंद एयरलाइन इंड‍िगो यात्र‍ियों के लिए 'सबसे बुरा सपना' बन गई? आंकड़ों से समझ‍िए

इंडिगो एयरलाइन की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस तीन दिसंबर तक गिरकर मात्र 19.7% रह गई, जिससे हर पांच में से चार उड़ानें देरी से थीं. ये गिरावट नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में आई और एयरलाइन के लिए एक गंभीर संकट बन गई. अन्य प्रमुख एयरलाइनों की तुलना में इंडिगो की ये स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है. देरी के कारणों में स्टाफ की कमी, तकनीकी समस्याएं और शेड्यूलिंग दबाव शामिल हैं.

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ढह गया इंडिगो का ऑपरेशन? एक महीने में OTP 84% से गिरकर हुई 19%
ढह गया इंडिगो का ऑपरेशन? एक महीने में OTP 84% से गिरकर हुई 19%

कम से कम कैंसिलेशन, अध‍िकतर फ्लाइट्स ऑन टाइम, घरेलू बाजार में सबसे बड़ा हिस्सा... साल 2025 में अक्टूबर तक इंडिगो एक ऐसी एयरलाइन दिखती थी जिस पर भरोसा किया जा सकता था. लेकिन नवंबर और दिसंबर की शुरुआत ने ये तस्वीर पूरी तरह बदल दी. एयरलाइन अब एक तरफ जनता के गुस्से का सामना कर रही है. उधर, सरकारी जांच भी बैठा दी गई है. 

तीन दिसंबर तक इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस सिर्फ 19.7% था यानी हर पांच में से चार उड़ानें लेट. भारत में अब तक किसी भी बड़े एयरलाइन की इतनी ज्यादा गड़बड़ि‍यां रिपोर्ट नहीं हुई हैं. आंकड़ों को देखें तो नवंबर में इंडिगो का OTP 67.7% था. वहीं अक्टूबर में ये 84.1% था. साल भर एयरलाइन का OTP 80-90% के बीच रहा, जुलाई और अगस्त में तो इससे भी ऊपर चला गया. किसी भी ऑपरेशनल पैराम‍ीटर से देखें तो एक ही महीने में इस स्तर की गिरावट बेहद चिंताजनक है. दूसरी एयरलाइनों से तुलना करने पर ये गिरावट और ज्यादा स्पष्ट हो जाती है. 

तीन दिसंबर के द‍िन फ्लाइट्स के ओटीपी 

इंडिगो का OTP 19.7% 
एयर इंडिया एक्सप्रेस- 69.9%
एयर इंडिया- 66.8%
स्पाइसजेट- 68.7%
एलायंस एयर- 68%
आकासा एयर- 67.5%

ये आंकड़े बहुत हाई तो नहीं हैं, लेकिन ये जरूर साफ करते हैं कि ये परेशानी पूरे उद्योग की नहीं, सिर्फ इंडिगो की है. साल में पहले एयर इंडिया और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइनों में उतार–चढ़ाव आए, लेकिन कोई भी 20% के नीचे नहीं गई. आकासा एयर, जो अभी नई है और अपनी क्षमता बढ़ा रही है, उसने भी ज़्यादातर समय 78% से ऊपर का प्रदर्शन बनाए रखा.

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फ्लाइट्स की ये तुलनात्मक स्थिरता दिखाती है कि इंडिगो जिन दिक्कतों से जूझ रही है. उसके पीछे की वजह खराब मौसम, त्योहारों की भीड़ या राष्ट्रीय स्तर की एविएशन समस्या नहीं है. ये एक अंदरूनी ऑपरेशनल टूट-फूट है. बता दें कि तीन दिसंबर तक इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस सिर्फ 19.7% था. यानी हर पांच में से चार उड़ानें देरी से थीं.

अच्छा रहा है इंड‍िगो का इतिहास 

पिछले महीने सभी एयरलाइन में कैंसिलेशन की संख्या अचानक बढ़ गई थी यानी कुल 1,232 उड़ानें रद्द हुईं. वहीं दूसरी तरफ इतिहास में इंडिगो भारत की सबसे कम कैंसिलेशन करने वाली एयरलाइनों में रही है. जनवरी से अक्टूबर के बीच इंडिगो ने औसतन सिर्फ 0.73% उड़ानें रद्द कीं, जो राष्ट्रीय औसत 1.05% से कम है.

इस बार जो देरी बढ़ी, उसकी वजह सिर्फ टिकटिंग सिस्टम की दिक्कतों से नहीं हुई. इसमें स्टाफ की कमी, तकनीकी समस्याएं और अंदरूनी शेड्यूलिंग दबाव भी शामिल थे. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता के यात्रियों ने स्थिति को 'अव्यवस्थित', 'अनिश्चित' और 'अनमैनेज्ड' बताया. इस स्थिति को देखते हुए DGCA ने इंडिगो अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई.

ये वक्ता का बदलना ही है, कहां साल के अधिकतर समय में इंडिगो के ऑपरेशनल आंकड़े दक्षता की कहानी थे. लेकिन अचानक आई ये तेज गिरावट और लोगों की अफरातफरी एक टर्निंग पॉइंट साबित हो रही है. 

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