सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि विभिन्न संस्थाओं की ओर से जारी की जाने वाली ग्लोबल एयर क्वालिटी रैंकिंग किसी भी ऑफिशियल अथॉरिटी की ओर से नहीं की जाती, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश केवल सलाह देने वाले मूल्य हैं, अनिवार्य मानक नहीं.
'दुनिया में ऑफिशियल प्रदूषण रैंकिंग नहीं होती'
राज्यसभा में भारत की स्थिति को लेकर IQAir के वर्ल्ड एयर क्वालिटी रैंकिंग, WHO ग्लोबल एयर क्वालिटी डेटाबेस, एनवायरनमेंटल परफॉर्मेंस इंडेक्स (EPI) और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) जैसे वैश्विक सूचकांक पर सवाल के जवाब में, पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि दुनिया भर में किसी भी देश के लिए आधिकारिक प्रदूषण रैंकिंग नहीं की जाती है.
'भारत ने अपने राष्ट्रीय मानक खुद तय किए'
पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि WHO के दिशा-निर्देश देशों को अपने अनुसार वायु गुणवत्ता के मानक तय करने में मदद करते हैं, जिसमें देश की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि भारत ने पहले ही जनता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए 12 प्रदूषकों के लिए अपने राष्ट्रीय मानक (NAAQS) तय कर दिए हैं.
'हर साल होता है स्वच्छ वायु सर्वेक्षण'
मंत्री ने यह भी बताया कि भारत अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत 130 शहरों में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए हर साल स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (Swachh Vayu Survekshan) करता है. अच्छे प्रदर्शन वाले शहरों को हर साल 7 सितंबर को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर सम्मानित किया जाता है.