भारत ज़ोरशोर से इस साल G-20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश के अलग अलग शहरों में बैठक हो रही हैं. इसी कड़ी में जी-20 के सदस्य देशों के टूरिजम वर्किंग ग्रुप का कारवां श्रीनगर पहुंचा है. आज से शुरू हुआ ये आयोजन 24 मई तक चलेगा.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि कश्मीर के विकास के लिए G-20 बैठक अहम है. 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था. इसके बाद घाटी में इंटरनेशनल लेवल का ये पहला और सबसे बड़ा आयोजन है. उधर पाकिस्तान शुरू से ही दूसरे देशों से कश्मीर में हो रही G20 समिट में भाग ना लेने की अपील कर रहा था, इसके बावजूद 17 देशों के क़रीब 60 डेलीगेट्स इस मीटिंग में हिस्सा ले रहे हैं. तो मैसेजिंग के लिहाज से देखा जाए तो इस आयोजन की अहमियत क्या है? सुनिए 'दिन भर' में.
उधर एशिया पैसिफ़िक रीज़न के देश पापुआ न्यू गिनी का दौरा निपटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं. ये दौरा कई मायनों में अहम रहा. दोनों ही देशों ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान से नवाज़ा. इसके अलावा हम सबने वो तस्वीर देखी जिसमें पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे कृतज्ञता का भाव लिए पीएम मोदी के पैर छू रहे हैं.
अब आज जब ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य की राजधानी सिडनी में प्रधानमंत्री मोदी का विमान उतरा तो बड़े ही भव्य तरीके से उनका स्वागत हुआ. हालाँकि, सबने ही स्वागत किया हो ऐसी बात नहीं, कई जगह विरोध के पोस्टर्स भी थे. पीएम मोदी यहां दो दिनों तक अलग अलग प्रोग्राम्स में जाएंगे. इंडियन ऑस्ट्रेलियन डायस्पोरा फाउंडेशन की एक रैली में शामिल होंगे जिसमें क़रीब 20 हज़ार लोगों की मौजूदगी के कयास लगाए जा रहे हैं. सिडनी के ओलम्पिक पार्क में ये प्रोग्राम होना है और अंग्रेजी अख़बार द गार्डियन के मुताबिक़, इसमें भाग लेने के लिए प्राइवेट चार्टर्ड प्लेन्स से ऑस्ट्रेलिया के अलग अलग राज्यों से लोगों को लाया जा रहा है. वैसे तो सिडनी में यूएसए, इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान की भागीदारी वाली क्वॉड की बैठक भी होनी थी लेकिन बाइडेन के ना आने के चलते ये अब कैंसिल है. तो प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा क्यों ख़ास रहने वाला है और एक तरफ तो स्वागत की तस्वीरें दिख रही हैं लेकिन दूसरे तरफ विरोध के ये स्वर भी हैं, इसके क्या कारण हैं? सुनिए 'दिन भर' में.
तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद पूरा राज्य हिंसा की आग में जल उठा. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ये निर्देश दिया था कि वो 10 साल पुरानी सिफ़ारिश को लागू करे, जिसमें मैतेई कम्युनिटी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने इस मांग के खिलाफ एक रैली निकाली थी. इस रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे.
तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात कर दिया गया था. सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी. इसके अलावा 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस हिंसा में 60 से ज्यादा लोगों की मौत और 231 लोगों के जख्मी होने की खबर थी. हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने करीब 1700 घर जला दिए थे और 25 हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा था. आज इस घटना के 18 दिन बाद राजधानी इम्फाल में फिर से हिंसा भड़कने की ख़बर है. ये हिंसा क्यों भड़की और अभी वहां क्या हालात हैं? सुनिए 'दिन भर' में.
बीते शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने एक ऐलान से पूरे देश को चौंका दिया. उसने कहा कि 2000 रुपये के नोट को 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत बंद किया जा रहा है. हालाँकि सेंट्रल बैंक ने ये भी कहा कि जो नोट बाज़ार में मौजूद हैं वो वैध रहेंगे. लोग 30 सितंबर तक इन नोटों को या तो अपने बैंक खातों में जमा करा सकते हैं या बदल सकते हैं.
सरकार के इस क़दम की तारीफ़ करते हुए बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास आज मीडिया से मुख़ातिब हुए और कहा कि 2 हज़ार के नोटों की साइकिल कम्पलीट हो गई है. लेकिन सरकार के इस फ़ैसले के पीछे का असल मक़सद क्या है?सुनिए 'दिन भर' में.