विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया. विदेश मंत्री ने कहा कि वह राहुल गांधी को चीन के मामले में ज्यादा समझ है तो मैं उन्हें सुनने के लिए तैयार हूं.
समाचार एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं चीन में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाला राजदूत रहा हूं. मैं बहुत लंबे समय से इन सीमा मुद्दों से निपट रहा हूं. मैं ये सुझाव नहीं दे रहा कि मैं सबसे ज्यादा जानकार हूं, लेकिन वहां जो कुछ है, उसके बारे में मेरी समझ काफी अच्छी राय होगी.
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर उनके (राहुल गांधी) पास बेहतर ज्ञान है, तो मैं उन्हें सुनने को तैयार हूं. जैसा कि मैंने कहा कि मेरे लिए जीवन एक सीखने की प्रक्रिया है. मैंने अपने दिमाग को कभी भी किसी भी चीज़ के लिए बंद नहीं किया है. चाहे वह कितनी भी असंभव क्यों न हो. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी सैनिकों के जवाब में LAC पर सेना भेजी थी, न कि राहुल गांधी ने.
विपक्ष का आरोप था कि चीनी सैनिकों ने पिछले साल पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण किया था, इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र 1962 के युद्ध के बाद से चीन के अवैध कब्जे में था. मुझे लगता है कि वे जानबूझकर स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं. चीनी पहली बार 1958 में वहां आए थे और चीनियों ने 1962 में इस पर कब्जा कर लिया था. जयशंकर ने कहा कि अब आप 2023 में मोदी सरकार को एक पुल के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, जिस पर चीनियों ने 1962 में ही कब्जा कर लिया था.
विपक्ष के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि केंद्र चीन के मुद्दे पर रक्षात्मक और गैर-प्रतिक्रियाशील है, इस पर जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में चीन सीमा पर शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती है.
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