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ई-सिगरेट पर अनुराग ठाकुर ने की शिकायत, सौगत रॉय बोले- सदन के बाहर पीना क्राइम नहीं

लोकसभा में ई-सिगरेट के इस्तेमाल को लेकर विवाद बढ़ गया है. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने स्पीकर को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सांसद संसद परिसर में ई-सिगरेट पी रहे हैं. वहीं, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है.

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संसद परिसर में धूम्रपान नियमों के उल्लंघन का मामला तूल पकड़ता हुआ (Photo: PTI/ ANI)
संसद परिसर में धूम्रपान नियमों के उल्लंघन का मामला तूल पकड़ता हुआ (Photo: PTI/ ANI)

संसद परिसर में ई-सिगरेट पीने का मुद्दा गहराता जा रहा है. एक दिन पहले गुरुवार को बीजेपी सांसद ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को शिकायत की थी कि संसद परिसर में टीएमसी के सांसद ई-सिगरेट पी रहे हैं. अब उन्होंने ने न केवल सदन में यह मुद्दा उठाया, बल्कि लोकसभा स्पीकर को औपचारिक पत्र लिखकर तुरंत कार्रवाई की मांग भी की है. 

उनका कहना है कि संसद परिसर में किसी भी तरह का धूम्रपान पूरी तरह प्रतिबंधित है और ई-सिगरेट तो कानूनन देशभर में बैन है, इसलिए यह मामला गंभीर है.

उधर, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि “कोई आरोप नहीं है. सदन के अंदर तो धूम्रपान बिल्कुल प्रतिबंधित है, लेकिन खुले क्षेत्र में किसी ने सिगरेट पी हो तो उसमें आपत्ति की बात नहीं है.” 

सौगत रॉय ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण बेकाबू है और बीजेपी को पहले उस पर ध्यान देना चाहिए.

यह भी पढ़ें: संसद में ई-सिगरेट पर बवाल! TMC सांसद पर अनुराग ठाकुर ने लगाया आरोप तो हुआ जमकर हंगामा

क्या है भारत में ई-सिगरेट को लेकर नियम?

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भारत में ई-सिगरेट पर सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने पूर्ण प्रतिबंध लगाया था. उस कानून के तहत ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, बिक्री, भंडारण, परिवहन और विज्ञापन पर पूरी तरह रोक है. 

पहली बार नियम तोड़ने पर एक साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. दोबारा नियम तोड़ने पर तीन साल की जेल और पांच लाख रुपये जुर्माना तक का प्रावधान है. यहां तक कि ई-सिगरेट को केवल स्टोर करना भी अपराध माना जाता है.

इस बात से साफ है कि अगर संसद परिसर में ई-सिगरेट के उपयोग की पुष्टि होती है तो यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि कानूनन दंडनीय अपराध होगा. अब सबकी नजर स्पीकर कार्यालय की प्रतिक्रिया पर है, क्योंकि यह मामला राजनीतिक टकराव के साथ-साथ कानूनी रूप से भी संवेदनशील है.

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