समाज सुधारक और द्रविड़ आइकन पेरियार ने एक बार कहा था- कोई भगवान नहीं है. जिसने भगवान को बनाया वह मूर्ख है. जो उनका नाम फैला रहा है वह दुष्ट है, जो उनको पूज रहे हैं वे असभ्य हैं.
तमिलनाडु का समाज, लोग दशकों से पेरियार के इस कथन को सुनते आ रहे हैं. इसके अलावा DMK के संयोजक अन्नादुरई और उनके जैसे कई जो धर्म, जाति, ब्राह्मणवाद, जाति/धार्मिक/लिंग उत्पीड़न आदि के आलोचक रहे वे तमिलनाडु की जनता के नेता रहे.
इसलिए सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के बयान पर जितना हंगामा हिंदी भाषी राज्यों में देखने को मिला वैसा माहौल तमिलनाडु में नहीं रहा.
सबसे पहले जान लीजिए उदयनिधि कौन हैं और उन्होंने क्या कहा था. दरअसल, उदयनिधि तमिलनाडु के सीएम स्टालिन के बेटे हैं. उन्होंने कहा था कि सनातन का बस विरोध नहीं किया जाना चाहिए, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए. ये धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है. हम डेंगू, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इसे मिटाना है. इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है.
तमिलनाडु में बड़ा मुद्दा नहीं बना बयान
बीजेपी इस बयान को हिंदुओं के अपमान की तरह प्रस्तुत कर रही है. लेकिन तमिलनाडु में इसको लेकर उतना हंगामा नहीं है. इसकी वजह राज्य का सांस्कृतिक स्वभाव है.
इसकी बड़ी वजह ये है कि तमिलनाडु के लोग सनातन धर्म को उस तरह नहीं देखते जैसा कि हिंदी भाषी राज्यों में देखा जाता है. इस बारे में रामू मणिवन्नन कहते हैं कि देश के दूसरे हिस्सों में सनातन धर्म को हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है. लेकिन तमिलनाडु में इसे जाति-विरोधी शिक्षाशास्त्र से देखा जाता है. द्रविड़ लोग खुद को वर्ण व्यवस्था, मनुस्मृति से अलग रखते हैं. बता दें कि रामू मणिवन्नन द्रविड़ अध्ययन के एक्सपर्ट हैं और डेनवर विश्वविद्यालय (कोलोराडो) में विजिटिंग प्रोफेसर हैं.
इसी वजह से बीजेपी को छोड़कर किसी दूसरी पार्टी ने भी उदयनिधि के बयान को मुद्दा नहीं बनाया. जैसे कि AIADMK जो कि राज्य में फिलहाल सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और बीजेपी का सहयोगी दल भी है, उसने भी उदयनिधि के बयान को तूल नहीं दी. AIADMK ने नेताओं ने उल्टा ये कहा कि उदयनिधि ने सनातन पर बयान डीएमके सरकार का कुशासन छिपाने के लिए दिया है, जिससे जनता का ध्यान भटक सके.
इतना ही नहीं, तमिलनाडु बीजेपी के नेताओं में भी इसको लेकर मिली-जुली राय है. कुछ मानते हैं कि राज्य में इसका मुद्दा बनाने से कोई फायदा नहीं होगा, लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनको लगता है कि अब माहौल बदल गया है और इसको मुद्दा बनाया जाना चाहिए. कुछ बीजेपी नेता ऐसे भी हैं जो इस बात से नाराज हैं कि उदयनिधि के बयान को हवा देकर उनको 'फ्री का प्रचार' दिया गया.
DMK को फायदा और नुकसान दोनों!
प्रोफेसर रामू मणिवन्नन मानते हैं कि सनातन पर विवाद का DMK पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के असर होंगे. मणिवन्नन ने कहा कि हिंदू समुदाय जरूर DMK से दूर होगा. लेकिन जाति विरोधी राजनीति करने वाले, समर्थक DMK की तरफ आएंगे.
I.N.D.I.A. गठबंधन पर क्या होगा असर?
उदयनिधि का बयान सिर्फ DMK या तमिलनाडु तक सीमित नहीं है. स्टालिन की पार्टी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का भी हिस्सा है. इस वजह से बीजेपी इसको मुद्दा बनाकर पूरे I.N.D.I.A. गठबंधन पर निशाना साध रही है. I.N.D.I.A. गठबंधन की पार्टियां भी बखूबी समझ रही हैं कि सनातन पर बयानबाजी से तमिलनाडु में DMK को भले नुकसान ना हो, लेकिन दूसरे राज्य खासकर हिंदी भाषी राज्यों में उनको नुकसान जरूर हो सकता है. बीजेपी इस बयान से I.N.D.I.A. गठबंधन की छवि हिंदू विरोधी वाली स्थापित करने की कोशिश में है.
इसी वजह से I.N.D.I.A. गठबंधन के कई नेताओं ने खुले तौर पर उदयनिधि के बयान का विरोध किया. क्योंकि उनको पता है कि इसको अगर आने वाले दिनों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाया गया तो गठबंधन को नुकसान हो सकता है.