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उमर खालिद की जमानत पर 3 सितंबर को सुनवाई, दिल्ली पुलिस के दावों में विरोधाभास

उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने अदालत को बताया कि एक चैनल द्वारा उनके भाषण का एडिटेड वीडियो चलाया गया, जिसे बीजेपी के एक नेता ने ट्वीट किया था और इस आधार पर ही  UAPA के तहत केस दर्ज किया गया था. 

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Umar khalid (File photo)
Umar khalid (File photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने जोरदार बहस की
  • कहा- कथित वीडियो को एक चैनल द्वारा चलाया गया

दिल्ली दंगा मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने जो बहस की और साक्ष्य पेश किए उससे पुलिस के दावों में कई विरोधाभास हैं. अब इस मामले में तीन सितंबर को सुनवाई होगी. 

त्रिदीप पायस ने अदालत को बताया कि एक चैनल द्वारा उनके भाषण का एडिटेड वीडियो चलाया गया, जिसे बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया था और इस आधार पर ही UAPA के तहत केस दर्ज किया गया था. 

त्रिदीप पायस ने कहा कि उमर खालिद की ओर से अमरावती (महाराष्ट्र) में दिए गए भाषण को एक चैनल ने यू-ट्यूब पर दिखाया था. इस वीडियो को लेकर उक्त चैनल को नोटिस भेजा गया कि वो टीवी चैनल और यू ट्यूब पर चली फुटेज सामने रखें. वकील के मुताबिक, चैनल ने अपने जवाब में कहा था कि इस फुटेज को रिकॉर्ड नहीं किया बल्कि इसे बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया था. 

त्रिदीप पायस ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने मूल रूप से वीडियो नहीं देखा था, लेकिन प्राथमिकी दर्ज करने के लिए 6 मार्च, 2020 तक चैनल के प्रसारण पर भरोसा किया. वकील ने तर्क दिया, 'बड़ी साजिश की प्राथमिकी संख्या 59/2020 को कभी दर्ज नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि कोई सबूत नहीं था.'

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शरजील के मामले में भी सितंबर में सुनवाई

वहीं, शरजील इमाम के मामले में उनके वकील ने कहा कि शरजील ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिंसा से कुछ जुड़ाव हो. दावा है कि भाषण में कहा गया कि सड़क पर अवरोध उत्पन्न करो, रेल रोको आंदोलन करो ताकि लोग सड़कों को पार ना कर पाएं.

शरजील इमाम किसी बैन संस्था से जुड़ा हुआ नहीं है. चार्जशीट में भी शरजील को किसी आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ नहीं बताया गया, वह छात्र है. शरजील इमाम के वकील ने कहा NRC-CAA के विरोध को भारत के लोकतंत्र को राजद्रोह जैसी मान्यता नहीं दी जा सकती.

शरजील के वकील ने कहा कि देश के नागरिक को सरकार के खिलाफ या उसके संसाधनों के बारे में आलोचना या टिप्पणी के जरिए कुछ कहने या लिखने का अधिकार प्राप्त है. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सितंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई होगी.

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