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आधे स्टाफ के साथ काम कर रहीं ये एजेंसियां... कैसे कम होगा प्रदूषण?

दिल्ली-एनसीआर में भीषण प्रदूषण के बीच देश की प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों में 45% से ज्यादा पद खाली हैं. संसद में बताया गया कि CPCB, SPCBs और PCCs गंभीर स्टाफ संकट से जूझ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद राज्यों में नियुक्तियां नहीं हो पाईं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण की क्षमता कमजोर हुई है.

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 प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों में 45 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं. (Photo: PTI)
प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों में 45 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं. (Photo: PTI)

दिल्ली-NCR में भीषण प्रदूषण के बीच यह हैरान करने वाली बात है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एजेंसियों में 45% से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. संसद में पर्यावरण राज्यमंत्री ने बताया कि CPCB में 16%, SPCBs में करीब 48% और PCCs में 43% पद खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद, तमाम राज्यों में गंभीर स्टाफ कमी बनी हुई है.

संसद के मौजूदा सत्र में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और इकाइयों में खाली पड़े पदों को लेकर सवाल पूछा गया. पर्यावरण मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों (CPCB, SPCBs, PCCs) में स्वीकृत 6,932 पदों में से 3,161 पद खाली पड़े हैं. यानी कुल पदों का 45.6 प्रतिशत भरा नहीं गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) में कुल 393 पदों में से 64 पद खाली हैं, जो 16.3% की कमी है.

असली संकट राज्यों में है, जहां वायु गुणवत्ता सबसे खराब है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCBs) में 6,137 स्वीकृत पदों में से 2,921 पद खाली हैं, यानी उनके करीब 48 फीसदी कार्यबल की कमी है. प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCCs) में कुल 402 पदों में से 176 पद, यानी 43.8 फीसदी खाली हैं. मार्च के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में 344 स्वीकृत पदों में से 153 पद खाली हैं, जबकि राजस्थान में 808 में से 488 पद खाली हैं.

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कोर्ट की चेतावनी और सरकार का जवाब...

19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (DPCC) में खाली पदों को न भरने पर लताड़ लगाई थी और अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी. कोर्ट ने सितंबर 2025 तक नियुक्तियां भरने के निर्देश दिए थे. 17 नवंबर को दिल्ली सरकार ने 52 पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन मई में CPCB ने बताया था कि DPCC में कुल 344 पद हैं, जिनमें से 189 खाली हैं.

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भर्ती न होने की क्या वजहें हैं?

28 जुलाई को केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में नियुक्तियां न होने की कई वजहें हैं. इनमें कानूनी अड़चनें, तकनीकी समस्याएं, स्टाफिंग पैटर्न, आरक्षण रोस्टर, पदों के उन्नयन, न्यायालयीन मामले, आदर्श आचार संहिता, और नए चयनित अभ्यर्थियों का कार्यभार ग्रहण न करना प्रमुख वजहें हैं. सरकार ने यह भी कहा कि प्रति नियुक्तियों के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी या आवेदन न मिलना भी एक वजह है.

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समाधान कैसे निकलेगा?

सरकार ने पिछले दो सत्रों में संसद में यही जवाब दोहराया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण करने वाली संस्थाओं में ही आधे पद खाली पड़े हैं, तो दिल्ली-NCR सहित देश के कई राज्यों के इस भीषण संकट का समाधान आखिर कैसे निकलेगा? यह गंभीर स्टाफ की कमी ज़मीनी स्तर पर प्रदूषण कम करने की कोशिशों को सीधे तौर पर कमजोर करती है.

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