दिल्ली की एक अदालत ने BMW हादसे की आरोपी गगनप्रीत कौर को जमानत देते हुए एंबुलेंस कर्मचारियों के बर्ताव की कड़ी आलोचना की है, जो कुछ ही सेकंड में दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए, लेकिन घायल मोटरसाइकिल सवार नवजोत सिंह की मदद करने में विफल रहे.
स्टाफ ने नहीं की पीड़ित की मदद
अदालत ने कहा कि हादसे के वक्त एक सरकारी एंबुलेंस चमत्कारिक रूप से वाहनों के ठीक पीछे मौजूद थी. सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि वह दो सेकंड के भीतर घटनास्थल पर पहुंच गई थी, खाली थी, उसे कोई और काम नहीं दिया गया था, और वह बेस अस्पताल की ओर जा रही थी. आदेश में कहा गया, 'लेकिन फिर भी उसने पीड़ित की मदद नहीं की और तुरंत ही घटनास्थल से चली गई.'
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अदालत ने कहा, 'एंबुलेंस ड्राइवर और पैरामेडिक्स का बर्ताव बेहद गैर-पेशेवर और गलत था. घायलों की मदद किए बिना, वे घटनास्थल से चले गए. उन्होंने पीड़ित की नब्ज देखने की भी ज़हमत नहीं उठाई.'
गैर-इरादतन हत्या का आरोप कमजोर
अदालत ने आरोपी गगनप्रीत को ज़मानत देने से पहले अभियोजन पक्ष के बयानों में विरोधाभासों की ओर इशारा करते हुए ये टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि हादसे के सीसीटीवी फुटेज ने मामले के प्रथम दृष्टया आकलन को बदल दिया है, जिससे गैर इरादतन हत्या का आरोप कमज़ोर पड़ गया है.
अदालत ने पाया कि FIR में दर्ज कहानी कि BMW ने मोटरसाइकिल को पीछे से सीधी टक्कर मारी थी पुख्ता नहीं हुई. इसके बजाय, सीसीटीवी फुटेज में कार का बेकाबू होना, डिवाइडर से टकराना, पलटना और इस प्रक्रिया में एक मोटरसाइकिल और बस से टकराना दिखाया गया था.
गोल्डन आवर की थ्योरी
फुटेज में आगे दिखाया गया है कि पैरामेडिक्स और ड्राइवर कुछ देर के लिए घटनास्थल के पास पहुंचे, लेकिन 40 सेकंड के भीतर ही अपनी गाड़ी में वापस आकर वहां से भाग गए. अदालत ने कहा कि इससे अभियोजन पक्ष की 'गोल्डन आवर' वाली थ्योरी को मजबूती मिलती है कि समय पर मदद से पीड़िता की जान बचाई जा सकती थी.
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अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जो मौत का सही समय बता सकती है, अभी आनी बाकी है. तब तक, यह दावा कि इलाज में देरी के कारण मौत हुई पुख्ता तौर पर साबित नहीं हो सकता.