
साल 2023 में भारत की कानून-व्यवस्था की तस्वीर दो बड़ी चिंताओं से घिरी रही. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट दिखाती है कि साइबर क्राइम के केस अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं और बच्चों के खिलाफ क्राइम भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. आंकड़े बताते हैं कि समाज और डिजिटल बदलाव जितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, कानून-व्यवस्था की मशीनरी उतनी तेजी से तालमेल नहीं बिठा पा रही.
साइबर क्राइम में आया उछाल
2023 में भारत में 86,420 साइबर क्राइम केस दर्ज हुए जो 2022 की तुलना में 31% ज्यादा हैं. देश में साइबर क्राइम की दर 4.8 से बढ़कर 6.2 केस प्रति लाख आबादी हो गई.
लेकिन ये बढ़ोतरी पूरे देश में बराबर नहीं है. सिर्फ पांच राज्य कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार ने कुल साइबर अपराधों के करीब तीन-चौथाई हिस्से को मिलकर पूरा किया. इनमें कर्नाटक (21,889 केस) और तेलंगाना (18,236 केस) लगभग आधे केसों के लिए जिम्मेदार रहे.
जनसंख्या के अनुपात में देखें तो तेलंगाना सबसे ऊपर रहा, जहां प्रति लाख आबादी पर 47.8 साइबर क्राइम केस दर्ज हुए. कर्नाटक में ये दर 32.3 रही और केरल में 9.2. बड़े राज्य जैसे यूपी और महाराष्ट्र में ये दर एकल अंक (single digit) में रही.
केस निपटाने की रफ्तार धीमी
इसमें मोटिवेशन साफ दिखता है कि ज्यादातर साइबर क्राइम धोखाधड़ी (fraud) से जुड़े रहे. 2023 में कुल केसों में से 69% (59,526) धोखाधड़ी से जुड़े थे, इसके बाद यौन शोषण (5%) और जबरन वसूली (लगभग 4%) रहे. लेकिन केस दर्ज करने और चार्जशीट दाखिल करने में बड़ा गैप रहा. कर्नाटक में चार्जशीट रेट 18% रहा, तेलंगाना में 21%, महाराष्ट्र में 31% और केरल में 49%. यानी शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन केस निपटाने की रफ्तार धीमी है.
बढ़े बच्चों के खिलाफ अपराध
साइबर क्राइम के साथ-साथ बच्चों के खिलाफ अपराध भी चिंता का कारण रहे. NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में 1,77,335 केस दर्ज हुए, जो पिछले साल से 9.2% ज्यादा हैं. राष्ट्रीय दर भी 36.6 से बढ़कर 39.9 केस प्रति लाख बच्चे हो गई.
इन अपराधों में सबसे ज्यादा लगभग 45% (79,884 केस) अपहरण और किडनैपिंग के केस रहे . इसके बाद पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत अपराध रहे, जो 38.2% (67,694 केस) रहे. यानी बच्चों से जुड़े हर 5 अपराधों में से 4 या तो अपहरण या फिर यौन शोषण से जुड़े थे. राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 22,393 केस दर्ज हुए. इसके बाद महाराष्ट्र (22,390), यूपी (18,852), राजस्थान (10,577) और बिहार (9,906) रहे.

दिल्ली में बच्चों के साथ सबसे ज्यादा क्राइम
जनसंख्या अनुपात के हिसाब से दिल्ली सबसे ऊपर रही, जहां प्रति लाख बच्चों पर 140.3 केस दर्ज हुए. इसके बाद असम (84.2) और मध्य प्रदेश (77.9) रहे. ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि कुछ राज्यों में बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा है. रिपोर्ट ये भी बताती है कि साल 2023 के अंत तक करीब 90% पॉक्सो केस जांच या ट्रायल के अधूरे ही रहे, यानी सिस्टम पर भारी बोझ है.
बच्चों से अपराध बड़ी चिंंता
कुल मिलाकर, NCRB 2023 के आंकड़े साफ चेतावनी देते हैं. चाहे डिजिटल दुनिया हो या बच्चों की सुरक्षा, अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और जांच व मुकदमा चलाने की क्षमता पीछे छूट रही है. धोखाधड़ी आधारित साइबर क्राइम, जो डिजिटल पेमेंट्स के फैलाव से और बढ़े हैं, और बच्चों से जुड़े अपराध खासकर अपहरण और यौन शोषण भारत की सुरक्षा की सबसे बड़ी चिंता बनकर उभरे हैं.
आंकड़े चौंकाने वाले हैं 2023 में हर दिन भारत में औसतन 237 साइबर क्राइम और 486 बच्चों के खिलाफ अपराध दर्ज हुए. कानून सख्त हो रहे हैं, पोर्टल और हेल्पलाइन ज्यादा सुलभ हो रही हैं, लेकिन अगर जांच तेज नहीं हुई, सजा की दर नहीं बढ़ी और समाज की सुरक्षा प्रणाली मजबूत नहीं हुई, तो ये बढ़ते अपराध देश की नई सामान्य स्थिति (new normal) बन सकते हैं.