मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दो दिवसीय कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में कड़े निर्देश जारी करते हुए छत्तीसगढ़ में अनुशासन, जवाबदेही और जमीनी स्तर के शासन की एक नई दिशा तय कर दी है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब सिर्फ कागजी कार्रवाई को प्रदर्शन नहीं माना जाएगा, बल्कि हर अधिकारी की विश्वसनीयता जमीनी नतीजों पर निर्भर करेगी.
CM ने कॉन्फ्रेंस की शुरुआत रविवार को भी मैराथन बैठकें आयोजित करके की और इसी को उदाहरण बनाते हुए अधिकारियों से कमिटमेंट की मांग की.
उन्होंने कहा, "अगर हम रविवार को काम कर सकते हैं और पूरे दिन यहां बैठ सकते हैं, तो आप मैदान में सुबह 7 बजे से पहले क्यों नहीं पहुंच सकते?"
सीएम ने दो टूक कहा कि अधिकारियों को गांवों, धान खरीदी केंद्रों, स्कूलों, अस्पतालों और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में शारीरिक रूप से मौजूद होना जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि आलस्य, देर से रिपोर्टिंग और सिर्फ दफ्तरों की फाइलों पर निर्भरता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
ड्रग्स पर जीरो टॉलरेंस और सड़क सुरक्षा पर सख्ती
मुख्यमंत्री ने ड्रग्स के कारोबार को कई अपराधों की जड़ बताया और PIT NDPS एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. उन्होंने अंतर्राज्यीय सीमावर्ती जिलों में निगरानी बढ़ाने और युवाओं में ड्रग्स की खपत रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का आदेश दिया.
सीएम ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं 'हादसा' नहीं, बल्कि 'प्रशासनिक विफलता' हैं. उन्होंने हेलमेट, सीट बेल्ट और नशे में ड्राइविंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए. ब्लैक स्पॉट की पहचान, हर बड़े हादसे का तकनीकी विश्लेषण और कलेक्टर-एसपी की साप्ताहिक जिला-स्तरीय समीक्षा अनिवार्य कर दी गई है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि सड़कों पर कानून का डर दिखना चाहिए और यातायात पुलिस को लापरवाही के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा.