बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका बानू मुस्ताक ने मैसूर के मशहूर दशहरा पूजा का उद्घाटन किया. उन्होंने मैसूर में चामुंडेश्वरी मंदिर में पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति पर पुष्प वर्षा कर शुभ "वृश्चिक लग्न" के दौरान उत्सव का उद्घाटन किया. बानू मुस्ताक ने कहा कि देवी चामुंडेश्वरी ने मुझे यहां बुलाया है और मैं उनकी मौजूदगी में आपके सामने आई हूं.
दशहरा के शुभारंभ को अपने जीवन का सबसे सम्मानजनक क्षण बताते हुए मुश्ताक ने कहा, "दशहरा हमारी सामूहिक संस्कृति का प्रतीक है."
उन्होंने कहा, "मैसूर के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत से लेकर हमारे दिलों में बसी कन्नड़ भाषा की गूंज तक यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि संस्कृति विभिन्न स्वरों का सम्मिश्रण है, विविधता में एकता की सुगंध है."
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा बानू मुस्ताक को मैसूर के दशहरा पूजा में बतौर मुख्य अतिथि आने के लिए न्योता देने पर बीजेपी ने तीव्र विरोध किया था. ये विवाद सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी जिसमें राज्य सरकार द्वारा मुश्ताक को दशहरा के उद्घाटन के लिए दिए गए निमंत्रण को बरकरार रखा गया था.
बानू मुश्ताक ने कहा कि चामुंडेश्वरी देवी मंदिर में उनकी यात्रा अभी बाकी थी और मैसूर दशहरा का उद्घाटन करने का अवसर मिलने से उनकी एक मन्नत पूरी हुई.
उन्होंने कहा, "मैंने एक साक्षात्कार में बताया था कि जब मेरा नाम बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ था, तब मैसूर में मेरी एक लेखिका मित्र ने देवी चामुंडेश्वरी से प्रार्थना की थी और मुझे मंदिर लाने का संकल्प लिया था. किसी कारणवश मैं पहले नहीं जा सकी थी, लेकिन सरकार के निमंत्रण पर देवी चामुंडी ने मुझे बुलाया है."
उन्होंने आगे कहा, "इस मामले में कई उतार-चढ़ाव और विभिन्न प्रकार की ऐतिहासिक परिस्थितियों के बावजूद, देवी चामुंडेश्वरी ने मुझे यहां बुलाया है और मैं उनकी उपस्थिति (मंदिर में) से आपके सामने आई हूं."
अपने उद्घाटन भाषण में मुश्ताक ने कहा, "हमारी संस्कृति हमारी जड़ है, सद्भाव हमारी ताकत है और अर्थव्यवस्था हमारे पंख हैं. आइए हम भारत के युवाओं के साथ मिलकर एक ऐसे नए समाज का निर्माण करें जो मानवीय मूल्यों और प्रेम से परिपूर्ण हो - जो शैक्षिक, आर्थिक और औद्योगिक रूप से भी मज़बूत हो. उस समाज में सभी को समान भागीदारी और अवसर प्राप्त हों."
हिंदू धर्म के साथ अपने जुड़ाव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "मैं कई आयोजनों में गई हूं कई आयोजनों में आमंत्रित की गई हूं, मैंने कई बार दीप जलाए हैं और फूल चढ़ाए हैं और मंगला आरती स्वीकार की है. यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं है."
उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी सरकार को नैतिक रूप से उनके साथ खड़े रहने और कई चुनौतियों के बावजूद उन्हें दशहरा के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया.