भाजपा के पूर्व सांसद दिलीप घोष ने शुक्रवार को पानिहाटी में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बांग्लादेश के साथ इंटरनेशनल बॉर्डर को खोला जाना चाहिए, ताकि जो अवैध प्रवासी अपने मूल देश लौटना चाहते हैं, उन्हें यह अवसर दिया जा सके.
उन्होंने बताया कि यह बॉर्डर 1947-48 में भारत के विभाजन के समय खोला गया था और उस समय कई बांग्लादेशी भारत में आए थे. घोष ने कहा, "यदि अवैध बांग्लादेशी प्रवासी अपने देश लौटना चाहते हैं तो उन्हें यह मौका दिया जाना चाहिए. यह बॉर्डर खोले जाने से कुछ माफिया और गुंडों को भी उनके मूल स्थान पर भेजा जा सकेगा."
दिलीप घोष ने आगे कहा कि यदि ये अवैध प्रवासी राज्य छोड़ दें तो पश्चिम बंगाल पर बोझ कुछ कम हो जाएगा. इससे राज्य में सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा. भाजपा नेता ने यह भी जोर देकर कहा कि अवैध प्रवासियों के मुद्दे को हल करना अब अत्यंत आवश्यक हो गया है क्योंकि इससे स्थानीय लोगों के संसाधनों पर दबाव कम होगा और राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार संभव होगा.
उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल को एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित राज्य बनाने के लिए अवैध प्रवासियों के मुद्दे को गंभीरता से देखना होगा. जो लोग अपने देश लौटना चाहते हैं, उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए."
इस मौके पर दिलीप घोष ने राज्य और केंद्र सरकार से अपील की कि सीमा प्रबंधन और अवैध प्रवासियों की वापसी के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. उनका कहना था कि केवल कड़ी नीतियों से ही राज्य में अवैध प्रवासियों की समस्या का समाधान हो सकता है.