महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति ने कांग्रेस की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी को करारी मात देकर सत्ता अपने नाम की थी. अब बारी राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव की है. प्रदेश की 246 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायत चुनाव के लिए दो दिसंबर को वोटिंग होनी है.
प्रदेश में 31 जनवरी 2026 से पहले स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. निकाय चुनाव की प्रक्रिया तीन चरणों में होनी है. पहले चरण में नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव हैं. दूसरे चरण में जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चुनाव. इसके बाद मुंबई, पुणे, ठाणे जैसे बड़े नगर निगम के चुनाव हैं.
महाराष्ट्र निकाय चुनाव की पहली ही लड़ाई में दोस्त दुश्मन बन गए. 246 नगर पालिका और 42 नगर पंचायत में चुनाव हो रहे हैं. महायुति के घटक दलों के बीच सियासी रार छिड़ गई है. इस चुनाव में कई सीटों पर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना आमने-सामने हैं.
288 निकाय सीट पर दो दिसंबर को चुनाव
महाराष्ट्र में लंबे समय से आरक्षण प्रक्रिया के चलते निकाय चुनाव लटके हुए थे. लेकिन अदालत से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य चुनाव आयोग ने निकाय चुनाव कराना शुरू कर दिया है. प्रदेश की 246 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायत सीट पर चुनाव हो रहे हैं, जहां पर 2 दिसंबर को वोटिंग है.
इस तरह पहली ही चुनावी लड़ाई में महायुति के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं। इतना ही नहीं, एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग भी तेज कर दी है बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता की कमान अपने हाथ में लेने के बाद शहरी निकायों पर भी अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती है.
इसके लिए तमाम सीटों पर बीजेपी ने शिंदे गुट वाली शिवसेना के नेताओं को अपने साथ मिलाकर उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसी बात को लेकर बीजेपी से एकनाथ शिंदे नाराज हैं. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी सार्वजनिक मंचों पर भी साफ दिखाई दे रही है.
एकनाथ शिंदे बनाम देवेंद्र फड़णवीस
बीजेपी के सहयोग से ढाई साल मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे मौजूदा सरकार बनने के समय से ही अपना 'उपमुख्यमंत्री पद' हज़म नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी ओर फडणवीस भी शिंदे की घेराबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
उन्होंने शिंदे के गृह जनपद ठाणे से ही बीजेपी के एक कद्दावर नेता रवींद्र चव्हाण को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है. रवींद्र चव्हाण डोंबीवली विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं, जो शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे के संसदीय क्षेत्र का अंग है.
ठाणे के ही एक और प्रभावशाली नेता गणेश नाईक भी फडणवीस मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं. फडणवीस ने उन्हें भी ठाणे में संगठन विस्तार के लिए विशेष जिम्मेदारियां दे रखी हैं. वह अक्सर ठाणे में संगठन की बड़ी-बड़ी बैठकें किया करते हैं, जो शिंदे को कतई रास नहीं आता.
एकनाथ शिंदे मुंबई और ठाणे में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से का पूरा जनाधार चाहते हैं, जबकि फडणवीस बीजेपी की सांगठनिक क्षमता बढ़ाकर मुंबई और ठाणे दोनों महानगरपालिकाओं में अपना मेयर बनाने के लिए प्रयासरत हैं. ये बात शिंदे को पसंद नहीं आ रही और बीजेपी से दो-दो हाथ पालिका और नगर पंचायत चुनाव में कर रहे हैं.
दोस्त कैसे बन गया सियासी दुश्मन
2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाले एनसीपी मिलकर लड़े थे. लोकसभा चुनाव में अधिक सफल नहीं हुए, लेकिन विधानसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली और पूर्ण बहुमत से सरकार भी बनी.
अब स्थानीय शहरी निकायों के चुनाव घोषित होते ही महायुति के तीनों दलों के बीच मनमुटाव हो गया है, क्योंकि सभी दलों के कार्यकर्ता इन छोटे चुनावों में अपना भाग्य आज़माना चाहते हैं, और इसका दबाव उनके नेताओं पर भी दिखाई देता है.
जीत के समीकरण को देखते हुए शिंदे की शिवसेना के कई नेता सियासी पाला बदलकर बीजेपी में आ गए हैं. ये बात शिंदे को बर्दाश्त नहीं हो रही है. शिंदे के गृह ज़िला ठाणे के ही कुछ कार्यकर्ता जब भाजपा में शामिल हुए, तो शिंदे गुट के कई मंत्रियों ने कैबिनेट का बहिष्कार तक कर दिया.
जिला परिषद और नगर निगम चुनाव
288 नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव के बाद अगली बारी 332 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के लिए चुनाव होने हैं. इसके अलावा जनवरी में 29 नगर निगमों, जिनमें बीएमसी भी शामिल है, के लिए चुनाव हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने 31 जनवरी 2026 से पहले राज्य में निकाय चुनाव हरहाल में करा लेने की बात कही है.
स्थानीय चुनाव तीन चरणों में होने हैं, जिसमें पहले चरण में नगर पालिका और नगर पंचायत की सीटें शामिल हैं. एनडीए कुछ जगह पर एक साथ चुनाव लड़ रहा तो कुछ जगह पर आमने-सामने हैं। इसके अलावा कई निकाय सीटों पर बीजेपी ने शिंदे गुट के नेताओं को अपने साथ मिलाकर प्रत्याशी बना रखा है, जिसे लेकर एकनाथ शिंदे नाराज हैं.