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दिशा के पिता सतीश सालियान के वकील खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना का नोटिस, न्यायाधीशों के खिलाफ दिया था विवादित बयान

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वकील निलेश ओझा के खिलाफ दिशा सालियन मौत मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर अवमानना का मामला दर्ज किया है. कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से वीडियो हटाने का भी निर्देश दिया है.

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 बॉम्बे हाईकोर्ट ने निलेश ओझा को दीशा सालीयान केस में विवादित बयान के लिए नोटिस जारी किया (Photo: ITG)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निलेश ओझा को दीशा सालीयान केस में विवादित बयान के लिए नोटिस जारी किया (Photo: ITG)

महाराष्ट्र में दिशा सालियान के पिता सतीश के वकील निलेश ओझा को न्यायधीशों के ख़िलाफ़ बोलना भारी पड़ा है. बॉम्बे हाईखोर्ट ने निलेश के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है. आरोप है कि सालियान के केस के दौरान निलेश ने एक प्रेस वार्ता के दौरान एक मौजूदा जज और पूर्व मुख्य न्यायाधीश के बारे में गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. 

मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में पांच जजों की विशेष बेंच बैठी. इस बेंच में चीफ जस्टिस अलोक अराधे की अध्यक्षता में, जिसमें जस्टिस एएस चंदुर्कर, एमएस सोनक, रवींद्र घुगे और एएस गडकरी शामिल थे. बेंच ने इस दौरान एक वीडियो क्लिप की समीक्षा की.

उस वीडियो क्लिप में 1 अप्रैल, 2025 को वकील निलेश ओझा मीडिया को संबोधित कर रहे थे. ख़ास बात है कि ये प्रेस वार्ता दिशा सालियान मामले में सुनवाई के ठीक एक दिन पहले की गई थी.

प्रेस वार्ता में वकील ने क्या कहा था?

प्रेस वार्ता के दौरान वकील निलेश ओझा ने दिशा सालियान की केस की सुनवाई कर रही बेंच को अयोग्य करार देते हुए एक जज पर फॉर्जरी का आरोप लगाया था. 

कोर्ट की प्रतिक्रिया

कोर्ट ने वकील निलेश ओझा के इस काम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. कोर्ट ने कहा कि ओझा को कोई चिंता थी को उन्हें प्रेस वार्ता कर ये साझा नहीं करनी चाहिए थी. बल्कि कोर्ट को ज़ाहिर करनी थी. 

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यह भी पढ़ें: दिशा सालियान केस में आदित्य ठाकरे की दलील- जांच पहले से चल रही, FIR की याचिका को किया जाए खारिज

कोर्ट ने टिप्पणी की, 'ये बयान को जानबूझकर कोर्ट और जज की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाने के लिए दिया गया था.'

कोर्ट ने यह कहा कि वकील निलेश सार्वजनिक विश्वास को ठेस पहुंचाने के मकसद से ऐसा बयान दिया. बयान का तरीका निश्चित रूप से कोर्ट के अवमानना के अंतर्गत आता है और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है.

कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म यूट्यूब से वीडियो हटाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यूट्यूब और एक क्षेत्रीय समाचार चैनल को पक्षकार बनाया है और कहा है कि वे विवादास्पद वीडियो को तुरंत हटाएं.

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