राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का वह तारीख़ी इलाक़ा आज मायूसी के आलम में डूबा हुआ है, जहां की गलियां इतिहास के कई ऐसे लम्हों की गवाह हैं, जो हिंदुस्तान की बुनियाद के पत्थर हैं. पिछले दिनों हुए ब्लास्ट के बाद लाल क़िला से लेकर चांदनी चौक, जामा मस्जिद, मीना बाज़ार और खारी बावली मार्केट तक में मायूसी छाई हुई है.
ये सब वो इलाक़े हैं, जहां पर कई तारीख़ी तक़रीरें हुईं, कई ऐसे फ़ैसले लिए गए जिनसे मुल्क को नई दिशा मिली. लेकिन आज यहां की फ़िज़ा में एक ऐसी टीस तैर रही है, जिसकी भरपाई शायद ही हो सके. दुकानों में भीड़ नहीं है. चाय की टपरियों पर गप्पे मारने वाले लोग नहीं हैं.

तिरंगे को अपने सीने पर थामकर बुलंदी देने वाला लाल क़िला, तिरंगे को तो गले से लगाए हुए है लेकिन ख़ुद ख़ामोश है. क़िले के सामने पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी है और लोगों की आवाजाही बंद है. सुरक्षा कारणों से यहां का मेट्रो स्टेशन क्लोज कर दिया गया है. चारों तरफ़ एक अजीब सी वीरानियत है. 'चांदनी चौक की सवारी' के मालिकों में वो फ़ुर्ती नहीं है, जो आम तौर पर हुआ करती है. स्टॉल्स में ग्राहकों की तादाद आधे से कम नज़र आ रही है.

जामा मस्जिद की वो तारीख़ी सीढ़ियां जहां पर लोगों का हुजूम लगा रहता है, वहां आज सन्नाटा है. मस्जिद के गेट नंबर-2 के सामने वाली लेन की मार्केट बंद है. इसी के अगल-बगल बसी मीना बाज़ार की पगडंडियां सुनसान हैं, जहां पर राई का दाना डालने की जगह नहीं हुआ करती है.

ये वही इलाक़े हैं, जो दिल्ली को पहचान देने में ख़ास रोल अदा करते हैं. इन इलाक़ों में ऐतिहासिक स्मारकों की ज़ियारत से लेकर लोगों की रोज़मर्रा की ज़रूरतें और भूख की तलब शांत करने के लिए लज़ीज़ पकवान तक मिलते हैं. लेकिन ब्लास्ट के बाद इलाके़ का माहौल बिल्कुल अलग है. यहां के लोगों ने बताया कि सोमवार शाम के बाद से दहशत का माहौल है और बाहर के लोग यहां नहीं आ रहे हैं.
लाल क़िला से क़रीब 100-200 मीटर की दूरी पर लखनऊ के राजकरन तिवारी बैग और ब्रीफ़केस की दुकान चलाते हैं. aajtak.in के साथ बातचीत में वे कहते हैं, "पब्लिक घबरा गई है और दहशत की वजह से लोग बाज़ार में नहीं आ रहे हैं, हमारा काम-धंधा बंद हो गया है. कोई पूछने वाला नहीं आ रहा है. हमारी स्टॉल पर एक दिन में कम से कम सौ लोग आते थे लेकिन अब हम सारा दिन बैठे हैं और दो-चार लोग भी मुश्किल से आ रहे हैं. हम किराए के कमरे में दुकान चलाते हैं. हमारा बिज़नेस ज़ीरो प्वाइंट पर पहुंच गया है, 99 फ़ीसदी का डेंट लगा है."

ब्लास्ट का ज़िक्र करते हुए राजकरन तिवारी कहते हैं कि उस वक़्त हमारी दुकान कस्टमर्स से भरी हुई थी. जब घटना हुई, तो हमारी दुकान धमक उठी. फ़र्श हिल गई. जो भी ग्राहक बैठे हुए थे, वे उठ खड़े हुए और तुरंत भागने लगे. बाज़ार में शोरगुल मच गया था. उसे बाद हम लोग भी दुकान बंद करके निकल गए थे.
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राजो महतो बिहार के सहरसा से संबंध रखते हैं और चांदनी चौक में पैडल वाला रिक्शा चलात हैं, जिसको 'चांदनी चौक की सवारी' कहा जाता है. राजो बताते हैं, "ब्लास्ट के बाद बुरे हालात हैं. यहां पर पब्लिक नहीं आ रही है. मैं आम तौर पर एक दिन में बारह से तेरह सौ रुपए की कमाई कर लेता हूं. सोमवार को मैं चौदह सौ रुपए कमाया था, लेकिन दो दिनों से रोज़गार बिगड़ गया है. आज मैं सिर्फ़ दो-तीन सौ रुपए ही कमा पाया हूं."
खारी बावली मार्केट इलाक़े में फ़तेहपुरी मस्जिद के पास ड्राई फ्रूट्स की स्टॉल पर काम करने वाले दीपक बताते हैं कि लोग डरे हुए हैं. घर से नहीं निकल रहे हैं, इसलिए हमारे बिज़नेस पर बुरा असर हुआ है. हमारा नुक़सान हो रहा है. हमारे पास पांच सौ ग्राहक आते थे लेकिन अब सौ लोग भी नहीं आ रहे हैं.

धमाके वाली जगह से क़रीब 300-400 मीटर की दूरी पर प्रिंटेड बेडसीट्स और ब्लैंकेट्स का कारोबार करने वाले ख़ान मोहम्मद ग़मगीन लहजे में बताते हैं, "मार्केट में चहल-पहल क़रीब ख़त्म हो गई है. एक तरह से सन्नाटा छा गया है. बहुत कम कारोबार हो रहा है. इलाक़े में पुलिस की सख़्ती बहुत ज़्यादा है, इससे लग रहा है कि आने वाले कुछ दिन यही हालात रहेंगे. ग्राहक आते हुए डर रहे हैं. बाहर के व्यापारी नहीं आ रहे हैं. सिर्फ़ पच्चीस फ़ीसदी लोग ही ख़रीदारी करने आ रहे हैं."

ब्लास्ट का ज़िक्र करते हुए ख़ान मोहम्मद कहते हैं, "ऐसा लगा जैसे ज़लज़ला आ गया हो. हमें बहुत कंपन महसूस हुआ. हम लोग डर गए थे कि पता नहीं क्या हो गया है. कुछ वक़्त तक तो बिल्कुल सन्नाटा छा गया और पता ही नहीं चला कि हुआ क्या है."
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लाल क़िला के सामने वाली लेन पर गुरद्वारा से क़रीब बीस क़दम दूरी पर बिहार के गया के रहने वाले सत्येंद्र चाय की टपरी चलाते हैं. वो बताते हैं कि घटना के बाद बाज़ार पर बुरा असर हुआ है. बाहर के लोग नहीं आ रहे हैं. ब्लास्ट से पहले काम करने में अच्छा लग रहा था लेकिन अब चीज़ें काफी हद तक बदल गई हैं. रोटी के ख़र्चे निकालना मुश्किल हो गया है. हमारे पास एक दिन में 500 से 600 लोग आते थे लेकिन सौ लोग भी नहीं आ रहे हैं.

आम दिनों में खचाखच भरा रहने वाले मीना बाज़ार में मायूसी छाई हुई है. गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. मार्केट की शॉप नंबर 88 में कपड़े का कारोबार करने वाले मोहम्मद नईम कहते हैं, "जब से ब्लास्ट हुआ है, मार्केट के अंदर अंधेरा छाया हुआ है. हमारे दुकान पर पच्चास फ़ीसदी से ज़्यादा ग्राहक कम हो गए हैं. पांच हज़ार की जगह सिर्फ दो हज़ार की सेल ही रह गई है. मंगलवार के दिन तो सिर्फ़ 1200 रुपए की सेल हुई. हम उम्मीद कर रहे हैं कि इतवार तक बाज़ार पटरी पर लौटेगी."

मोहम्मद नईम कहते हैं, "बहुत ख़तरनाक आवाज़ थी. ब्लास्ट के वक़्त लगा, जैसे भूचाल आ गया है. दुकान के अंदर जो कस्टमर्स बैठे हुए थे, वे हिल गए. लोगों में दहशत पैदा हो गई कि आख़िर हुआ क्या है. कोई बोला भूकंप आया, कोई कहा बम फटा, तो कोई चिल्लाया कि बड़ी बिल्डिंग गिर गई."