एक वकील और जनहित याचिकाकर्ता अशोक पांडे ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सर्वोच्चम न्यायालय की एक अन्य बेंच द्वारा पारित आदेश का जिक्र किया, जिसमें उन पर जुर्माना लगाया गया है. अधिवक्ता अशोक पांडे ने सीजेआई को बताया कि बेंच के न्यायाधीश ने कहा था कि उनका लाइसेंस छीन लिया जाएगा.
'आपने मेरे साथियों को जरूर उकसाया होगा'
इस पर सीजेआई ने कहा कि कई बार बहस के दौरान थोड़ी गरमा-गर्मी हो जाती है, लेकिन आप बेंच के न्यायाधीशों पर इस तरह के आरोप नहीं लगा सकते. वे कभी-भी वकीलों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करते हैं, लेकिन पांडे ने पीठ से कहा कि जब भी वह कोई मामला दायर करते हैं तो उन पर अनावश्यक रूप से जुर्माना लगाया जाता है.
अधिवक्ता की इस टिप्पणी पर सीजेआई ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुनो, कृपया मेरे सहयोगी पर कोई आरोप मत लगाओ. यह मुझे स्वीकार्य नहीं है. यहां सभी जज अनुभवी जज हैं. वे सालों से जज हैं. आपने सच में मेरे सहयोगियों को उकसाया होगा.
राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली को दी थी चुनौती
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश से संबंधित है, जिसने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने के लिए लखनऊ स्थित वकील अशोक पांडे पर लगाए गए जुर्माने को वापस लेने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले दिन में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, "यदि आप एक शब्द भी बोलेंगे तो हम आप पर अदालत की अवमानना का मामला दर्ज करेंगे. आपको इतनी सारी याचिकाएं दायर करने से पहले 100 बार सोचना चाहिए. साथ ही जस्टिस गवई ने उनसे पूछा कि कितनी अदालतों ने उन पर जुर्माना लगाया है.
जज के सवाल का जवाब देते हुए वकील पांडे ने बेंच से अनुरोध किया, "कृपया कोस्ट को ध्यान में रखें. मेरे पास पैसे नहीं हैं." इस पर जस्टिस गवई ने कहा,'अगर आप कोर्ट नहीं छोड़ेंगे तो हमें शर्मिंदा होना पड़ेगा.'
अधिवक्ता ने कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि मैं हाथ जोड़कर अनुरोध कर रहा हूं. यह कोई अवमानना नहीं है सर, मैंने सीजेआई दीपक मिश्रा से संबंधित मामलों में याचिका दायर की है. जब उन पर आरोप लगाए गए थे. कोई भी आगे नहीं आया. जब मैंने नियुक्ति को चुनौती दी तो मेरे खिलाफ 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, लेकिन आदेश में 5 लाख रुपये का उल्लेख है, सभी समाचार पोर्टल 25,000 रुपये का उल्लेख करते हैं, लेकिन मुझे अब 5 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया है. कृपया इस मामले से जुर्माना हटा दें. हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने पांडे को अदालत छोड़ने के लिए कहा अन्यथा उन्हें बाहर ले जाने के लिए सुरक्षाकर्मियों को बुलाया जाएगा.
अदालत ने वकील को लगाई फटकार
वहीं, एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने वकील अशोक पांडे को उनकी याचिका पर लगाए गए 50 हजार का जुर्माने का भुगतान नहीं करने के लिए फटकार लगाई. अपनी इस याचिका पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं की नियुक्ति को चुनौती दी थी.
'आप प्रैक्टिसिंग वकील हैं'
जस्टिस एएस ओका और जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, "आप एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं और जब आपने अदालत को बताया कि आप जुर्माने के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करेंगे तो आप विदेश चले जाएंगे. अब आप यह नहीं कह सकते कि आप जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं कर सकते.
जज की टिप्पणी के बाद अपनी यात्रा का स्पष्टीकरण देते हुए वकील ने कहा कि मुझे 2023 के बाद से कोई केस नहीं मिला है. मेरी यात्रा मेरे बच्चों द्वारा प्रायोजित थी. हालांकि, बेंच ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा, "आप 1 सप्ताह में जुर्माने का भुगतान करें अन्यथा हम अवमानना जारी करेंगे. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या आप 2 हफ्ते में जुर्माने का भुगतान करने को तैयार हैं या नहीं? आप बार के सदस्य हैं. हम आपसे अनुरोध है कि आप इसका स्पष्ट जवाब दें.
मैं गरीब हूं, पर मेरे बच्चे अमीर हैं: अधिवक्ता
"मेरे बच्चे अमीर हैं, लेकिन मैं गरीब हूं. मैंने सीजेआई के समक्ष एक आवेदन दायर किया है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट केवल 50,000 रुपये का जुर्माना चाहता है. कृपया ऐसा न करें. मैंने शुरुआत में सीजेआई दीपक के लिए कई याचिकाएं दायर की थीं. जब मिश्रा पर बहुत सारे आरोप लगाए गए तो इस अदालत से किसी ने उनका समर्थन नहीं किया, लेकिन मैं वहां था और मैंने उन मामलों में भुगतान के लिए सीजेआई और भारत के राष्ट्रपति से अनुरोध किया है.''
अंत में बेंच ने अशोक पांडे को जुर्माना भरने के लिए 5 अगस्त तक का वक्त दिया है और जुर्माना न भरने की सूरत उन पर कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा.