रायपुर की सड़कों पर अब जिधर नजर उठाओ, कहीं खुला आसमान या सधी हुई सड़कें नहीं दिखतीं. आंखें सीधे चेहरों, नारों, बधाई संदेशों और बड़े-बड़े स्वागत पोस्टरों से जाकर टकराती हैं. ये बैनर हर तरफ हवा में लहराते दिखते हैं. शहर की मुख्य सड़कों से लेकर रिहायशी गलियों तक, फ्लेक्स बैनरों ने सार्वजनिक जगहों पर इस कदर कब्जा कर लिया है कि साझा नागरिक संपत्ति अब निजी प्रचार का मैदान बनती जा रही है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी में कभी-कभार लगने वाले सूचना बोर्ड अब रोजमर्रा के अतिक्रमण में बदल चुके हैं. जन्मदिन हो, किसी नेता का दौरा, स्थानीय कार्यक्रम या फिर कोई छोटी-बड़ी उपलब्धि, हर मौके पर फ्लेक्स लगाना अब आम बात हो गई है. बिजली के खंभे, पेड़, ट्रैफिक सिग्नल, फ्लाईओवर और सड़क के डिवाइडर, सब कुछ फ्लेक्स टांगने के आसान ठिकाने बन चुके हैं. कई जगह एक ही स्थान पर दर्जनों बैनर लगे दिखते हैं जिससे अव्यवस्था साफ नजर आती है.
ड्राइवरों के लिए खतरा भी
रोजाना सफर करने वालों के लिए ये सिर्फ देखने में खराब नहीं, बल्कि खतरनाक भी है. शंकर नगर जैसे व्यस्त चौराहों पर वाहन चालकों को ट्रैफिक के साथ-साथ आंखों के सामने लटके रंग-बिरंगे पोस्टरों से भी जूझना पड़ता है. एक नियमित यात्री ने कहा,'ये फ्लेक्स ड्राइविंग के दौरान ध्यान भटकाते हैं, खासकर चौराहों पर. इसे सुंदरता कहना गलत होगा, ये सीधी-सीधी परेशानी है.'
शहर की पहचान पर सवाल
पंडरी और तेलीबांधा जैसे इलाकों के लोग कहते हैं कि रायपुर कभी एक सुसंगठित और सलीकेदार राजधानी बनने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब प्लास्टिक की परतों के पीछे उसकी पहचान दबती जा रही है.
पंडरी के एक निवासी ने कहा,'रायपुर राजधानी है, लेकिन सड़कें बेतरतीब और गंदी दिखती हैं. कोई भी कहीं भी फ्लेक्स लगा देता है, रोकने वाला कोई नहीं.' एक अन्य स्थानीय व्यक्ति बोले,'चाहे किसी छोटे नेता का जन्मदिन हो या मोहल्ले का कार्यक्रम, सड़क पर फ्लेक्स लग जाते हैं और कई दिनों तक वैसे ही पड़े रहते हैं. सार्वजनिक जगहों को निजी संपत्ति समझ लिया गया है.'
मौसम बिगड़ते ही बढ़ता खतरा
बारिश और तेज हवाओं के मौसम में समस्या और गंभीर हो जाती है. ढीले-ढाले बंधे फ्लेक्स अक्सर गिर जाते हैं. कई बार सड़क जाम हो जाती है, बिजली के तारों में उलझ जाते हैं या खड़ी गाड़ियों को नुकसान पहुंचता है. हर तेज हवा ये साबित कर देती है कि ये बैनर कितने असुरक्षित हैं, फिर भी हटाए जाने के बाद दोबारा लग जाते हैं.
नगर निगम का दावा
रायपुर नगर निगम (RMC) की चेयरपर्सन मीनल चौबे ने कहा कि निगम इस समस्या से वाकिफ है और अवैध फ्लेक्स के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा, 'शहर में बिना अनुमति फ्लेक्स लगाना प्रतिबंधित है. नगर निगम नियमित रूप से हटाने की कार्रवाई करता है और जहां उल्लंघन मिलता है, वहां जुर्माना लगाया जाता है. हम नागरिकों और संस्थाओं से अपील करते हैं कि नियमों का पालन करें और पहले अनुमति लें.' उन्होंने यह भी कहा कि खासकर तूफानी मौसम में ये कार्रवाई और तेज की जाएगी, ताकि हादसों और ट्रैफिक बाधाओं से बचा जा सके.
पर्यावरण की भी कीमत
पर्यावरण कार्यकर्ताओं के मुताबिक फ्लेक्स बैनर प्लास्टिक से बने होते हैं जो नष्ट नहीं होते. हटाने के बाद इन्हें या तो कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है जिससे प्रदूषण बढ़ता है. बैनर टांगने के लिए पेड़ों में कीलें और तार ठोंके जाते हैं, जिससे उन्हें स्थायी नुकसान पहुंचता है. जो चीज स्वागत या जश्न के नाम पर लगाई जाती है, उसका असर लंबे समय तक रहता है.
स्मार्ट सिटी बनाम कड़वी हकीकत
स्मार्ट प्लानिंग और आधुनिक ढांचे की बात करने वाले शहर रायपुर के लिए फ्लेक्स बैनरों की भरमार एक असहज सच्चाई है. ये दिखाता है कि सार्वजनिक जगहों पर अवैध कब्जा अब सामान्य मान लिया गया है और कार्रवाई या तो चुनिंदा होती है या थोड़े समय की. रायपुर का आसमान किसी नए विकास की वजह से नहीं बदल रहा, बल्कि इसलिए ढकता जा रहा है क्योंकि उसे लगातार पोस्टरों और बैनरों से ढांपा जा रहा है.