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जब डेंगू का हो वार, तो न करें डॉक्टर से इनकार

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डेंगू बुखार के दौरान मेडिकल जांच में लापरवाही या डॉक्टर की सही सलाह न मानना जानलेवा साबित हो सकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

तान्या को नया ऑफिस ज्वॉइन करने से एक दिन पहले बुखार महसूस हुआ तो उन्होंने दवा खा ली. सोचा अक्टूबर है और मौसम बदल रहा है इसलिए ऐसा हो रहा होगा. लेकिन रात होते होते तान्या का बुखार 104 डिग्री पर पहुंच गया. पूरा बुखार सिर पर. पति ने रात भर ठंडी पट्टी लगाई मगर बुखार न उतरा. अगले दिन ही हॉस्पिटल गए. डॉक्टर ने तुरंत ही डेंगू का टेस्ट कराने को कहा जो पॉजिटिव आया.

रोज प्लेटलेट्स मॉनिटर करने को कहा गया मगर उल्टियां, चक्कर, कमजोरी होने लगी. बुखार जो उतरने का नाम न ले. लेकिन तान्या तब तक हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुईं जब तक प्लेटलेट्स 30 हजार से नीचे नहीं पहुंच गए. गलत किया. उन्हें तुरंत ही आईसीयू में एडमिट कर दिया गया. अगली सुबह जब नाक से खून बहने लगा तब डॉक्टर ने फौरन फ्रेश प्लेटलेट चढ़ाने को कहा. हालात काफी क्रिटिकल थे. जिसे कहते हैं टच एंड गो. कैसे भी करके फ्रेश प्लेटलेट्स आए फिर जा के तबीयत संभली.

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तान्या 4 दिन बाद जब डिस्चार्ज होकर घर पहुंचीं तो एक महीने तक काफी कमजोर थीं. तभी से वो साल भर मच्छरों से सावधान रहती हैं. चाहे सुबह हो या रात. उन्हें ये बात पता चल चुकी थी कि एक मच्छर भी जानलेवा हो सकता है और डेंगू तो बार बार आ सकता है, साल में कभी भी. इससे साल भर बचने की जरूरत होती है.

दूसरा किस्सा भी पढ़ी लिखी सिमरन से जुड़ा हुआ है. सिमरन के 5 साल के बेटे को बुखार हो गया था. ना खा पा रहा था, ना सो पा रहा था. बस बुखार में तड़पता रहता था. बस बुखार में तड़पता रहता था और रोता रहता था. सिमरन के ससुर जी ने कहा कि शायद बेटे को डेंगू हो गया है.

सिमरन ने डॉक्टर के पास जाने की बात की तो सभी ने कहा कि वो फालतू के टेस्ट कराएंगे, महंगी दवा देंगे, घरेलू नुस्खे से बेटा जल्दी सही हो जाएगा. लेकिन बेटे की हालत बिगड़ती रही, लगातार खराब होती रही. फिर एक दिन वो अचानक बेहोश हो गया. हल्की सांस ले रहा था. ये सब देखकर सिमरन के पति उसे जबरदस्ती डॉक्टर के पास लेकर गए. अच्छा किया उन्होंने वरना बेटे की शायद जान न बच पाती.

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उसके प्लेटलेट्स 10 हजार पहुंच गए थे. आईसीयू में उसे भर्ती किया गया. ब्लड टेस्ट कराकर प्लेटलेट चढ़ाए गए तब जाकर हालत संभली. 10 दिन तक वो हॉस्पिटल में ही रहा. सिमरन का बेटा इतना कमजोर हो गया था कि कई दिन बाद ही वो सॉलिड डाइट ले सका. काफी दिन तक वो लिक्विड डाइट पर ही रहा. सिमरन ने उसी दिन से ठान लिया कि अपने बच्चे को 12 महीने मच्छर से बचाकर रखेंगी और कुछ भी हो जाए सीधा डॉक्टर के पास जाएंगी. एक मच्छर से भी लेने के देने पड़ सकते हैं...बचना जरूरी है.

तान्या और सिमरन के संकट को जानकर आप भी ये समझ ही गए होंगे कि डेंगू दरअसल 12 महीने की बीमारी है सिर्फ बरसात की ही नहीं. आपको डेंगू की गिरफ्त में लाने के लिए एक मच्छर का डंक ही काफी रहता है. और अगर आप एक बार डेंगू के दौर से गुजर चुके हैं तो इसका ये मतलब नहीं कि आपको ये दोबारा नहीं हो सकता है. समझ लीजिए कि प्रिवेंशन ही बेटर देन क्योर. डेंगू से बचने के लिए आप इम्युनिटी बढ़ाने वाले फूड खाइए, एक्सरसाइज करिए, एसी वेंट या फ्लावर पॉट्स में पानी न जमा हो. डेंगू हाइजीन का ही विषय नहीं है बल्कि संभलकर रहना भी जरूरी है.

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डेंगू से बचाव के लिए गोदरेज कला हिट आपके लिए एक अचूक अस्त्र साबित हो सकता है. गोदरेज के इस स्प्रे की ताकत से घर के कोने कोने में छिपे मच्छरों का अंत हो जाता है. और आप ही नहीं बल्कि आपका बच्चा भी चैन की नींद सोता है.

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