2. पैरों का जल्दी थकना
लोगों को लगता है कि कोलेस्ट्रॉल की समस्या दिल से जुड़ी होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्याएं सबसे पहले पैरों में दिखाई देने शुरू होती हैं. जिसका संकेत चलने-फिरने के दौरान शरीर अक्सर देता है. जब पैरों की नसें कोलेस्ट्रॉल जमा होने की वजह से सिकुड़ने लगती हैं तो वहां तक खून पहुंचने में दिक्कत होती है. इसकी वजह से पैरों में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं.
मेयो क्लिनिक, वेबएमडी और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने पैरों के 5 लक्षण बताए हैं जो नसों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत हो सकते हैं.
1. चलने पर दर्द और रुकते ही आराम मिलना
अगर आपको अक्सर चलने पर पैरों के निचले हिस्से, जांघ या कूल्हे में दर्द या ऐंठन होती है और रुकते ही ठीक हो जाती है तो यह खराब ब्लड फ्लो का इशारा हो सकता है. ऐसा तब होता है जब पैरों की नसें (धमनियां) कोलेस्ट्रॉल जमने की वजह से सिकुड़ने लगती हैं और मांसपेशियों तक सही से खून नहीं पहुंच पाता.
2. पैरों का जल्दी थकना
अगर बाकी शरीर ठीक है लेकिन पैर जल्दी थक जाते हैं तो यह भी खराब ब्लड सर्कुलेशन का संकेत हो सकता है. नसों में जमा कोलेस्ट्रॉल की वजह से मांसपेशियों को उतनी एनर्जी नहीं मिलती, इसलिए सीढ़ियां चढ़ना या लंबा चलना पहले से ज्यादा मुश्किल लग सकता है.
3. एक पैर का दूसरे से ज्यादा ठंडा होना
अगर बार-बार ऐसा लगे कि एक पैर दूसरे पैर की तुलना में ज्यादा ठंडा है, खासकर चलने के बाद तो इसका मतलब हो सकता है कि वहां खून ठीक से नहीं पहुंच पा रहा. खून शरीर को गर्मी देता है, इसलिए ब्लड फ्लो कम होने पर पैर ठंडा महसूस हो सकता है. कई बार त्वचा थोड़ी पीली या नीली भी दिख सकती है.
4. पैरों या पंजों में झुनझुनी, सुन्नपन या जलन
अगर पैरों में बार-बार झुनझुनी होती है, उंगलियां सुन्न पड़ती हैं या जलन महसूस होती है तो यह भी कम ब्लड फ्लो के कारण हो सकता है. नसों तक ऑक्सीजन न पहुंचने से उनका काम प्रभावित होता है. लंबे समय तक ऐसा रहने पर पैरों में घाव भी जल्दी भर नहीं पाते.
5. चलने के बाद पैरों का रंग बदलना
अगर चलने पर पैरों की त्वचा पीली, धब्बेदार या हल्की नीली दिखने लगे तो यह खराब ब्लड सर्कुलेशन का संकेत है. गंभीर मामलों में त्वचा चमकदार दिखने लगती है, बाल कम उगते हैं या घाव देर से भरते हैं.
इन संकेतों पर ध्यान देना क्यों जरूरी है?
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर नसों के अंदर प्लाक जमने लगता है, जिससे ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है. समय के साथ इसे दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकता है. क्योंकि कोलेस्ट्रॉल खुद कोई लक्षण नहीं देता, इसलिए इसे पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका ब्लड टेस्ट ही है. इसी वजह से डॉक्टर समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल चेक करवाने की सलाह देते हैं.