
सोशल मीडिया पर कुछ लोग एक वीडियो शेयर करते हुए कह रहे हैं कि 'लिबरेशन फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान' नाम के एक संगठन ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने का ऐलान किया है.
वीडियो में बंदूकें पकड़े हुए चार लोग खाकी वर्दी में नजर आ रहे हैं. इसकी शुरुआत में किसी विदेशी भाषा का ऑडियो है और बाद के हिस्से में अंग्रेजी ऑडियो है. इसमें एक व्यक्ति कहता है, "हम हैं 'लिबरेशन फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान'. आज हम अपनी बात धीरे-धीरे नहीं बल्कि पूरे जोश के साथ कहेंगे. आज भी हमारी यादों में पहलगाम हमले के खून के छींटे हैं. हमें याद है, किस तरह बच्चों की हंसी कुछ विदेशियों की वजह से खामोश हो गई थी. आईएसआई की कठपुतलियों ने मासूमों का खून बहाया है. उन्होंने एक ऐसी आग जलाई है जिस पर उनका वश नहीं है."
वीडियो के बाद के हिस्से में ये संदेश है कि 'लिबरेशन फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान', पहलगाम हमले का बदला लेकर रहेगा.
एक एक्स यूजर ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, "लिबरेशन फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान ने आधिकारिक तौर पर चेतावनी दी है. पहलगाम का बदला अभी तक नहीं लिया गया है. हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि पाकिस्तान या अन्य जगहों पर ISI आतंकियों को खोजकर खत्म नहीं कर देते!!"

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
न्यूज एक्स लाइव नाम के मीडिया आउटलेट ने इस वीडियो को एक असली खबर बताते हुए इस पर रिपोर्ट छापी है.
लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो एडिटेड है और साल 2022 के एक वीडियो में छेड़छाड़ करके बनाया गया है.
दरअसल, उस वक्त एक तालिबान विरोधी संगठन 'लिबरेशन फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान' ने तालिबान के अत्याचारों से संबंधित एक वीडियो जारी किया था. उसमें पहलगाम या भारत का कोई जिक्र नहीं था.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने से ये हमें साल 2022 के कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में मिला. इनमें से ज्यादातर पोस्ट फारसी भाषा में हैं. इन पोस्ट्स में जो वीडियो अपलोड किया गया है, उसमें वायरल वीडियो वाला अंग्रेजी ऑडियो या सबटाइटल नहीं हैं. इन पोस्ट्स में जो कैप्शन लिखा है, उसका हिंदी अनुवाद है, "तालिबान के खिलाफ 'अफगानिस्तान लिबरेशन फ्रंट' नाम का एक और सैन्य संगठन सामने आया है. संगठन के सदस्यों ने एक वीडियो के जरिये बताया कि उनके देश की महिलाओं के पास कोई इस्लामिक अधिकार या मानवाधिकार नहीं हैं. यही वजह है कि वो तालिबान के खिलाफ खड़े हुए हैं."
इस बारे में थोड़ी और खोजबीन करने पर हमें पता लगा कि इस वीडियो के बारे में साल 2022 में कई मीडिया आउटलेट्स ने खबरें छापी थीं.
अरबी भाषा के न्यूज आउटलेट 'Al Ain News' के अनुसार तालिबान द्वारा पत्रकारों को गिरफ्तार किए जाने, महिलाओं के खिलाफ ज्यादतियां करने, और उनके प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार करने की वजह से ही 'अफगानिस्तान लिबरेशन फ्रंट' अस्तित्व में आया. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस संगठन का, अफगानिस्तान के चर्चित तालिबान विरोधी नेता अहमद मसूद के संगठन 'नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट' से कोई लेना-देना नहीं है.
हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के “@TranslateMom” नामक बॉट की मदद से इस वीडियो का एक अंग्रेजी सबटाइटल वाला वर्जन बनाया. इसे देखकर समझा जा सकता है कि वीडियो में क्या बात कही जा रही है.
अफगानिस्तान के पत्रकार ने क्या बताया
हमने अंग्रेजी सबटाइटल और फारसी ऑडियो वाला वीडियो, 'रेडियो अफगानिस्तान इंटरनेशनल' के एडिटर मुजाहिद आंद्राबी को भेजा. उन्होंने हमें बताया वीडियो के सबटाइटल सही हैं. उन्होंने ये भी बताया कि अफगानिस्तान लिबरेशन फ्रंट या किसी भी दूसरे तालिबान विरोधी संगठन ने हाल-फिलहाल में पहलगाम आतंकी हमले से संबंधित कोई वीडियो या बयान जारी नहीं किया है.
साफ है, एक तालिबान विरोधी संगठन का पुराना वीडियो एडिट करके शेयर किया जा रहा है और ये दिखाया जा रहा है कि संगठन ने पहलगाम हमले का बदला लेने का ऐलान किया है.