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इस देश ने ढहा दी 'शर्म की दीवार', दुनिया के किन हिस्सों में बनी हैं सबसे ज्यादा कांटेदार दीवारें, क्यों है इनपर विवाद?

पेरू के कैपिटल लीमा में हाल में एक दीवार तोड़ दी गई. करीब साढ़े 4 किलोमीटर लंबी इस दीवार को 'वॉल ऑफ शेम' भी कहा जाता था. असल में ये अमीर कॉलोनियों को गरीब बस्तियों से अलग करती थी. अमीरों को डर था कि दीवार न होने पर गरीब उनके गार्डनों में आकर आराम करते हैं, या फिर चोरियां करते हैं.

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दीवारें खड़ी करने का  चलन पूरी दुनिया में है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
दीवारें खड़ी करने का चलन पूरी दुनिया में है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

सबसे पहले जानते हैं क्या है वॉल ऑफ शेम. 10 फीट  से कुछ ज्यादा लंबी एक दीवार लीमा में बीचोंबीच खड़ी थी, जिसके ऊपर कांटेदार तार लगे थे. ये एक किस्म का बंटवारा था, जो अमीर लोगों को गरीब से अलग रखता था. लगभग 4 दशक पहले लास केजुएरिनास में रहने वाले अमीरों ने डर जताया कि गरीब अपराधी होते हैं. वे उनके एरिया में आकर माहौल खराब करते हैं. रईस नहीं चाहते थे कि उनका तथाकथित गंदी बस्ती में रहने वालों से कोई भी नाता रहे, सिवाय उनसे काम लेने के. 

अमीर-गरीब के बीच बंटवारा करती थी वॉल

राजधानी की ये गरीब बस्ती पैंपलोना अल्टा पेरू की सबसे कमजोर बस्तियों में से थी. वहां कामगार लोग रहते, जो थकने पर अमीर बस्तियों के पार्क्स में जाकर सुस्ता लेते. इसी बात से एतराज शुरू हुआ, जो बढ़ते-बढ़ते दीवार बनाने पर आकर रुका. 

साल 1985 में ये दीवार बनाई गई. ये लगातार और लंबी की जाती रही. साफ था कि ये केवल उस इलाके में रहने वालों की मर्जी नहीं थी, बल्कि सरकारी रजामंदी भी थी. मजे की बात ये थी कि इस वॉल को बनाने के लिए भी उन्हीं गरीब बस्तियों से मजदूर बुलाए गए. 

peru tears down the wall of shame in lima how many walls in world- photo Reuters

साल 2000 से इसका विरोध होने लगा

इतनी लंबी दीवार के चलते दूसरी तरफ रहने वाले लोगों को काम पर जाने के लिए लंबी दूरी पार करनी होती थी. 5 मिनट का फासला कई किलोमीटर में बदल चुका था. कई बार गेट लांघकर जाने वालों को बुरी तरह से मारा-पीटा भी गया. यही वो समय था, जब दीवार को वॉल ऑफ शेम कहा गया. ये अमीर-गरीब के बीच खाई का संकेत बन गई. इंटरनेशनल स्तर पर भी इसका विरोध होने लगा. हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये दीवार तोड़ी गई. 

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अलग देशों में गेटेड सोसायटी के लिए अलग शब्द

- ब्राजील में इसे कॉन्डोमिनियो फेचदो कहते हैं, जो अमीर लोगों का रिहायशी इलाका है. 
- अर्जेटिना में दीवारों से घिरी कॉलोनी बेरिओस प्राइवेडोज कहते हैं, यानी प्राइवेट नेबरहुड.
- दक्षिण अफ्रीका में इसके लिए सिक्योरिटी विलेज और कॉम्पलेक्स जैसे टर्म चलन में हैं. 

दीवारें खड़ी करने का चलन पूरी दुनिया में हर लेवल पर

उत्तरी आयरलैंड में पीस वॉल्स बनाई गईं. ये 6 मीटर से लंबी सीमेंट की दीवारें हैं, कई तो लोहे की बनी हुई हैं. शुरुआत में ये दो राजनैतिक सोच वाले लोगों को अलग करने का जरिया थीं, लेकिन बाद में कुछ और ही दिखा. ये दीवारें अमीर-गरीब के बीच भौंडी खाई की तरह बनी हुई थीं. सत्तर के दशक से ये पीस लाइन्स बननी शुरू हुईं, जो अब तक चली आ रही हैं. 

peru tears down the wall of shame in lima how many walls in world- photo Reuters

ब्रिटिश और आयरिश सोच वाले लोगों को अलग करती इन दीवारों पर खूब आपत्तियां उठीं. यहां तक कि साल 2016 में यहां की राजधानी बेलफास्ट में दीवारें टूटनी भी शुरू हो गईं, लेकिन बार-बार इनपर अड़ंगा लगता रहा. एतराज कर रहे लोगों का तर्क है कि इससे लड़ाई-झगड़े बढ़ जाएंगे. 

गेटेड दुनिया बसाने में पश्चिमी देश सबसे आगे रहे. ये न केवल अपने देश और शहरों में बंटवारा करते रहे, बल्कि बॉर्डर पर भी लंबे, कांटेदार वॉल्स बनवाते रहे. 

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तेजी से बढ़ी बॉर्डर फेंसिंग 

सीमाएं शेयर करने वाले दुनिया के बहुत से देश धीरे-धीरे दीवार या कंटीली बाड़ें बनवा रहे हैं. लेकिन शुरुआत में ये चलन नहीं था. दूसरे विश्व युद्ध के आखिर तक सिर्फ 7 देशों ने दीवारें बनवा रखी थीं. अब ये बढ़कर 75 से ज्यादा हो चुकी हैं. 

अमेरिकी वॉल सबसे विवादित है

इसे ट्रंप वॉल भी कहा गया. तत्कालीन राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने इसे बनवाने की पहल की थी, लेकिन फिर विवाद होने लगा. अमेरिकी वॉल पर विवाद असल में अमेरिका मैक्सिको से 3 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा की सीमा साझा करता है. यहां से लगातार अवैध घुसपैठ तो होती ही है, साथ ही ड्रग्स का कारोबार भी खूब चलता है. 

peru tears down the wall of shame in lima how many walls in world- photo Getty Images

इसे ही रोकने के लिए ट्रंप ने दीवार बनाने की बात की, लेकिन पेच यहां आया कि इसका कुछ खर्च मैक्सिको से भी मांगा गया. मैक्सिको ने इससे इनकार कर दिया. दूसरी तरफ विपक्षी दल ट्रंप को निशाने पर लेने लगा कि दीवार बनाने से पर्यावरण को बड़ा भारी नुकसान होगा. तो इस तरह से दीवार आधी-अधूरी ही बन सकी, और ट्रंप का कार्यकाल खत्म हो गया. 

चीन की दीवार का जिक्र अक्सर आता रहा

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना नाम से ये फेसिंग 21 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी है. दुनिया की सबसे लंबी दीवार आज-कल में नहीं, बल्कि 2 हजार साल पहले बनी थी, जिसका मकसद था बाहरी लोगों को चीन में घुसने से रोकना. अब ये दीवार टूरिस्ट अट्रैक्शन है, जिसे प्राचीन चीन की संस्कृति की तरह भी दिखाया जाता है. ऐसे ही उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच DMZ यानी डीमिलिटराइज्ड जोन है, जो करीब ढाई सौ किलोमीटर लंबी है. 

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बर्लिन की दीवार का क्या है इतिहास

बर्लिन की दीवार को शीत युद्ध के प्रतीक की तरह देखा जाता है, जिसमें पूर्वी जर्मनी को पश्चिमी हिस्से से काट दिया. दरअसल विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में भयंकर गैर-बराबरी आ चुकी थी. प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर जैसे पढ़े-लिखे लोग ईस्ट को छोड़कर वेस्ट की तरफ जा रहे थे. उन्हें रोकने के लिए सत्ताधारी कम्युनिस्ट दल ने दीवार बनानी शुरू कर दी ताकि लोगों को वेस्ट की तरफ भागकर जमा होने से रोका जाए.

साठ के दशक की शुरुआत में बनी ये दीवार लोगों को रोक नहीं सकी, बल्कि लोग बाड़ और दीवार दोनों ही तोड़ने लगे. नब्बे के अक्टूबर में दीवार ढहा दी गई और सांकेतिक तौर पर ही मौजूद रही. इसे फॉल ऑफ बर्लिन वॉल भी कहते हैं.

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