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'दो टारगेट एक साथ एंगेज कर सकते हो, मैंने कहा- जी सर...', ऑपरेशन सिंदूर की दिलेरी की कहानियां

एजेंडा आजतक 2025 में देश भारतीय सेना के उन जवानों के शौर्य से रूबरू हुआ जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुश्मन के नापाक इरादों को पस्त कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए वीर चक्र से सम्मानित कर्नल कोषांक लांबा ने बताया कि कैसे इस ऑपरेशन में मिनिमम कैजुअल्टी हुई.

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इंडियन आर्मी का कहना है कि हम भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. (Photo: ITG/Atul Kumar Yadav)
इंडियन आर्मी का कहना है कि हम भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. (Photo: ITG/Atul Kumar Yadav)

एजेंडा आजतक के 14वें संस्करण का आगाज हो चुका है. नई दिल्ली के ताज होटल में चल रहे इस राजनीति, बिजनेस, धर्म, अध्यात्म, खेल और फिल्म जगत की हस्तियां शिरकत कर रही है. दो दिनों तक चलने वाले इस न्यूज समिट का उद्घाटन इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी के संबोधन से हुआ. इस दौरान उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इंटरव्यू का प्रमुखता से जिक्र किया और कहा कि यह इंटरव्यू सिर्फ ‘आजतक’ के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए सम्मान की बात है.

कार्यक्रम के अगले सेशन 'वीर तुम बढ़े चलो' में देश ने उन जवानों के शौर्य को जाना और समझा जिन्होंने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था. 

ऑपरेशन सिंदूर की कहानियां रोंगटे खड़ी कर देने वाली कहानियां हैं. एजेंडा आजतक के सेशन 'वीर तुम बढ़े चलो' में शिरकत कर रहे कर्नल कोषांक लांबा को ऑपरेशन सिंदूर में उनके शानदार रोल के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया है. इस ऑपरेशन में अपना रोल बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका अपने रेजिमेंट में कमांड अधिकारी की थी. इसके नाते उनके ऊपर अपनी टुकड़ी को ऑपरेशन के इलाके में ले जाने की जिम्मेदारी थी. साथ ही उन्हें ये सुनिश्चित करना था कि सरप्राइज के एलिमेंट को कायम रखा जाए. ताकि दुश्मन को कुछ भी खबर न हो. 

कर्नल कोषांक लांबा ने कहा, "इसके अलग अलग सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करके हमें उसका नतीजा निकालना था, टारगेट को जांच करना और सारी टेक्निकल तैयारी करना जिसके दुश्मन के ठिकाने को नष्ट किया जा सके."

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उन्होंने कहा कि इसके अलावा सभी क्रिटिकल इक्विपमेंट को बचाकर रखना, अपने जवानों की हिफाजत करना भी उनकी भूमिका का हिस्सा था. 

ऑपरेशन सिंदूर में अपने रोल के बारे में बताते हुए नायब सूबेदार सतीश कुमार ने कहा कि उनका रोल मोटर पोजिशन कंट्रोलर की थी, उनका टास्क था टारगेट को एंगेज करना. इस ऑपरेशन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नायब सूबेदार सतीश कुमार को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है. 

10 मई 2025, सुबह 6 बजे

उन्होंने कहा कि 10 मई 2025 को सुबह 6 बजे दुश्मन ने इनके पोजिशन पर फायर किया. हमने भी जवाबी फायरिंग की. हमारे संतरी ने देखा कि हमारे पोस्ट से 150 मीटर ऊपर देखा कि हमारे ऊपर ड्रोन था, हमने 5 राउंड फायर किया तो ड्रोन वापस चला गया. कुछ देर के लिए फायर रुका. फिर सीओ साहब के आदेश पर हम अल्टरनेटिव पोजिशन में गए और फिर से फायरिंग शुरू की. दुश्मन ने दो जगहों से फायरिंग शुरू कर दी. हम सीओ साहब से लगातार बात कर रहे थे. 

उस सुबह की रोमांचक कहानी बताते हुए नायब सूबेदार सतीश कुमार ने कहा कि सीओ साहब ने कहा कि आप एक साथ दुश्मन के दो टारगेट को एंगेज कर सकते हो. तो मैंने कहा कि जी हां कर सकता हूं. आगे की थर्रा देने वाली कहानी को सतीश कुमार ने इस तरह बताया. उन्होंने कहा, "मेरे पास चार ट्यूब थे, मैंने बाएं की दो ट्यूब को बाएं वाले टारगेट की ओर दाएं वाले ट्यूब को दाएं टारगेट का डाटा अपलोड कर दिया. मैंने एक समय में दोनों टारगेट को एंगेज करवाया." इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 3 से 4  चौकी तबाह हो गए.

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इंडियन आर्मी के जवानों ने अपने करियर के अहम पलों को आजतक के साथ साझा किया. (Photo: ITG/ Atul kumar yadav)

इसके बाद शौर्य चक्र से सम्मानित मेजर युद्धवीर ने अपने ऑपरेशन की कहानी बताई. मेजर युद्ववीर सिंह ने अप्रैल 2022 में हुए ऑपरेशन के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि हम सर्च ऑपरेशन में थे और हमें आतंकवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली. हमें इलाके के बारे में जानकारी थी और सर्विलांस प्वाइंट पर आतंकियों की गाड़ी को दबोचा. जैसे ही हमें मौका मिलता हमें एक्शन लेना था. हमने जैसे ही गाड़ी रोकी आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि आगे के ऑपरेशन में बाकी आतंकी भी मारे गए. 

इसके बाद सेना मेडल से सम्मानित हवलदार अमित कुमार ने अपनी कहानी बताई. पुलवामा में हुए इस ऑपरेशन की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 2022 में हुए इस ऑपरेशन के दौरान अपनी QRT को लेकर निकले और गांव में पहुंचे और 10 से 12 घरों को घेर लिया. हम घरों की तलाशी ले ही रहे थे कि आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. लेकिन शील्ड होने की वजह से हमें नुकसान नहीं हुआ. हमने पहले घर वालों को बाहर से निकाला. हमें पता चला कि वहां 4 आतंकी थे. 

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हवलदार अमित कुमार ने कहा कि हमने उन्हें एक मौका और दिया लेकिन वे सरेंडर की बजाय फायरिंग करते रहे. फिर हमने ड्रोन से चारों तरफ से एरिया को चिह्नित कर लिया. आखिरकार लंबी फायरिंग के बाद चारों आतंकी मारे गए. 

कर्नल लांबा ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते हुए कहा कि ऐसे मौके थे जब हमारे इलाकों के पास दुश्मन के ड्रोन दिखाई थे. लेकिन हम अपनी ट्रेनिंग के हिसाब से इसके लिए तैयार थे. हमने क्या बचाव करना चाहिए ये हमें पता था. जब ड्रोन, या स्वार्म ड्रोन दिखाई देता था जो हम गैर जरूरी गतिविधियों को रोक देते थे. और घटनाओं की पल पल रिपोर्ट ऊपर के कमांड को करते थे. क्योंकि हमारा ऊपरी कमांड इसे नष्ट करने की कोशिश करता रहता था. 

उन्होंने कहा कि हमने दुश्मन के टारगेट को पहले से ही लोकेट कर रखे थे. जवानों में टीम स्पिरिट की भावना थी. हर एक सोल्जर अपने आप में, अपने दायरे में एक लीडर है. वो किसी न किसी तरह से एक नेतृत्व को एक्सरसाइज कर रहा है. सीनियर के द्वारा दिए गए ऑपरेशनल आइडिया को सही तरह से समझ कर इसे अप्लाई करना ही लीडरशिप है. 

कर्नल लांबा ने कहा कि हम अपनी जिस भी तरह से ऑपरेट कर रहे हैं हमें दिमाग में रखना होता है हम फोर्स प्रिजर्वेशन करना है. ऑपरेशन सिंदूर में हमारी कम से कम कैजुअलिटी हुई. ये इस बात का सबूत है कि हमारी ट्रेनिंग बेहतरीन थी. 

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आगे की तैयारी के बारे में उन्होंने कहा कि जंग की तकनीक में निरंतर बदलाव आ रहा है. ड्रोन बड़े पैमाने पर यूज कर रहे हैं, ट्रेन कर रहे हैं, सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल हो रहा है. अचूक मारक क्षमता वाले हथियार का प्रयोग हो रहा है, इससे बिना कोलैटरेल डैमेज के काम कर रहे हैं. इन्हें हमने ऑपरेशन सिंदूर में प्रैक्टिकल तरीके से लागू होते देखा. 

हवलदार अमित कुमार ने एक जवान की सैन्य तैयारियों के बारे में कहा कि जब हम ऑपरेशन के लिए जाते हैं तो किस रूप में जा रहे हैं और किस रूप में आएंगे ये हमें पता नहीं होता. ऑपरेशन के दौरान सरप्राइज का एलिमेंट बहुत जरूरी होता है. हमारे घरवालों को इसके बारे में कुछ पता नहीं होता है. वो बस इतना जानते हैं कि हम जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी पर है. 

सेना में बदलाव पर अमित ने कहा कि समय समय के हिसाब से बदलाव आ रहे हैं और हम अपने आपको अपडेट कर रहे हैं. पहले तो पूरा गांव खाली कराना पड़ता था. लेकिन अब पिन प्वाइंट खबर आती है, तो हमें मदद मिलती है. अब हमारे इक्विपमेंट अच्छे हैं. पहले बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए लोहे के प्लेट होते थे. अब बैलेस्टिक प्लेट आती हैं. 

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नायब सूबेदार सतीश कुमार ने कहा कि आपरेशन सिंदूर के दौरान जवानों में जो जज्बा था वो काबिले तारीफ था. जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन के गन पोजिशन, ड्रोन और कैमरा को तबाह किया था. 

मेजर युद्धवीर नेपहलगाम जैसे इलाकों के बारे में बताते हुए कहा कि अगर मैं वो इलाका देखा नहीं होता तो मैं भी समझ नहीं पाता. उन इलाकों में विजिबिलिटी 10 से 40 मीटर ही होती है. ये काफी दुर्गम इलाके होते हैं. यहां पेड़ बहुत घने थे. यहां तो अपने बंदे दिखने बंद हो जाते थे. इसलिए आतंकियों को पकड़ने में समय लगता था. 

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