कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक में नेतृत्व को चल रही रस्साकशी पर कहा है कि वे सीएम पद को ढाई-ढाई साल दो लोगों के बीच शेयर करने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने इसे अव्यावहारिक बताया है. उन्होंने कहा कि जिस नेता के पक्ष में ज्यादा विधायक हो उसे मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.
दिल्ली में चल रहे विचारों के महामंच एजेंडा आजतक 2025 के दूसरे दिन कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य दिग्विजय सिंह और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट शामिल हुए. इस सेशन में बहस का मुद्दा था 'कब तक खाली हाथ'.
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये जो बात होती है ढाई-ढाई साल की शेयरिंग की, ये बिल्कुल अव्यावहारिक है. मैं तो हमेशा से इस पक्ष का रहा हूं कि लोकतांत्रिक तरीके से विधायकों के बीच में सीएम का चुनाव होना चाहिए. जिसके पास ज्यादा विधायक हैं, वो मुख्यमंत्री बने और जो नंबर दो पर है वो उपमुख्यमंत्री बने. और उपमुख्यमंत्री को जो पोर्टफोलिया चाहिए वो देना चाहिए. मैं ढाई-ढाई साल शेयरिंग के पक्ष में नहीं हूं. ये अव्यावहारिक है.
दिग्विजय सिंह के इस बयान पर जब सचिन पायलट से प्रतिक्रिया मांगी गई तो सचिन पायलट ने कहा कि दिग्विजय सिंह को राजीनित में 50 साल हो गए, वे इस तरह का बयान दे सकते हैं. मैं तो इस पर कमेंट करने वाला नहीं हूं.
सचिन पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री हों या डीके शिवकुमार उन दोनों के मुंह से आज तक कभी सुना है कि हम पार्टी की बात को मानने वाले नहीं हैं. या पार्टी के निर्णय को अस्वीकार करेंगे. उनकी महात्वाकांक्षा हो सकती है, लेकिन जो पार्टी तय करेगी उसे मानने के लिए वे तैयार हैं.
सचिन पायलट पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे हमेशा से चुनावों के हाथ में नेतृत्व देने के पक्ष में रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब वे मात्र 38 साल के थे तो राजीव गांधी ने उन्हें मौका दिया था. सचिन भी जब राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो इनकी उम्र मात्र 33 साल थी. अब बताइए 33 साल के नौजवान को प्रदेश भर के कांग्रेस का प्रमुख बताया.
'पतझड़' होता है तो नई कोंपले आती हैं
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं तो हमेशा कहता हूं जब 'पतझड़' होता है तो नई कोंपले आती हैं. ये प्रकृति का नियम है.
सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को बहुत कम उम्र में जिम्मेदारी दी और उन्होंने सफलतापूर्वक काम किया. उन्होंने कहा कि उन्हें सोनिया गांधी ने 26 साल की उम्र में टिकट दिया, वे संसद पहुंचे, केंद्र का मंत्री रहे, अभी 48 वर्ष के हैं, कांग्रेस के महासचिव हैं. सचिन ने कहा कि वे युवाओं की श्रेणी में अब नहीं रहे. आगे बढ़ गए हैं. पार्टी हर एक को मौका देती है. संगठन को युवा और बुजुर्ग दोनों की जरूरत है. और ये निरंतरता चलती रहती है.
सचिन पायलट ने दिग्विजय सिंह के 'पतझड़' वाले बयान पर कहा कि 'पतझड़' पर ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है. किसकी पतझड़ हुई है. जबतक इंसान काम कर रहा है, चुनाव जीत रहा है, योगदान दे रहा है, तबतक करते रहना चाहिए.
इससे पहले इस चर्चा में चुनाव सुधारों पर बात हुई.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि बुधवार को लोकसभा में अमित शाह ने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया. केवल स्कोरिंग प्वाइंट रहा. दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार को मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट देने में क्या आपत्ति थी. क्या कारण है कि डी डुप्लीकेशन का जो साफ्टवेयर था उसे चुनाव आयोग ने यूज करना बंद कर दिया. इससे हरियाणा, कर्नाटक की गलतियां आसानी से पता चल जाती. क्या फिजिकल वेरिफेशन संभव है. बीजेपी नेता एक साल में दो जगह पर वोट डाल देते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के सवाल बड़े वाजिब थे लेकिन एक का भी जवाब नहीं दिया है.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास 2014 से 25 तक कई सुझाव नहीं दिया, लेकिन चुनाव आयोग ने जवाब ही नहीं दिया.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि आज से पहले SIR होता था तो पूरे मुल्क में कोई चर्चा नहीं होती थी. हमने डेटा दिया, कहा जांच करा लो, चुनाव आयोग ने उसे जांच कराने लायक नहीं समझा. हम सभी को वोटिंग का अधिकार देना चाहते हैं.
पायलट ने कहा कि बीजेपी बताए 11 साल में कितने घुसपैठिया निकाले. उन्होंने कहा कि एक भी घुसपैठिया को देश में रहने का अधिकार नहीं है. चुनाव आयोग को डिफेंड करने का काम बीजेपी का नहीं है. इसे EC को खुद करना चाहिए. विपक्ष के नाते हम सवाल उठाते रहेंगे.
RSS बिना रजिस्ट्रेशन कैसे काम करता है
सचिन पायलट ने कहा कि हम लोग चुनाव हारे हैं तो इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. बीजेपी के जीतने का मतलब ये नहीं है कि उन्हें ब्लैंक चेक मिल गया है. बीएलओ जान दे रहे हैं. आप वोटर्स कॉपी नहीं दे रहे हैं. अगर हमें प्रमाण मिलता है, गलती दिखती है तो क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि हम उनसे सवाल पूछे.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहली बात तो यह है कि इस देश में लोकतंत्र होना चाहिए या नहीं. ये सबसे बड़ा सवाल है, RSS लोकतंत्र के पक्ष में नहीं है. उन्होंने संविधान को नहीं माना है. RSS जैसा संगठन बिना रजिस्ट्रेशन के काम कर सकता है क्या? क्या वे बताते हैं कि उन्हें कितना चंदा मिलता है?