बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी के अंदर टिकट वितरण को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के सामने एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने खुलकर टिकट वितरण का विरोध जताया और राहुल गांधी की नीतियों पर सवाल उठाए. पटना में अल्लावरु होटल से निकल कर जैसे ही अपनी गाड़ी की ओर बढ़े, आदित्य पासवान नाम के गुस्साए कार्यकर्ता ने 'टिकट चोर गद्दी छोड़' का नारा लगाना शुरू कर दिया.
कार्यकर्ता का आरोप था कि राहुल गांधी दलितों और पिछड़ों की बात तो करते हैं, लेकिन टिकट बांटते समय पार्टी संघ से जुड़े लोगों को तरजीह देती है. टिकट वितरण से नाराज कार्यकर्ता आदित्य पासवान ने अल्लावरु से कहा, 'राहुल गांधी दलितों-पिछड़ों की बात करते हैं और आपने सारे टिकट संघ के लोगों को दे दिया है. हम इसका विरोध करते हैं, चाहे पार्टी से निकालो, जो मर्जी करो, लेकिन हम लोग इसका विरोध करेंगे.'
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कृष्णा अल्लावरु चुपचाप कार्यकर्ता की बात सुनते रहे. जब उसने अपनी बात समाप्त कर ली तो अल्लावरु ने उससे हाथ मिलाया और अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से चले गए. नाराज कार्यकर्ता आदित्य पासवान की बातों से मौके पर मौजूद अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी समर्थन जताया. इस घटना ने कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को उजागर कर दिया है. एक दिन पहले ही कृष्णा अल्लावरु को बिहार यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद से हटाया गया था. उनकी जगह मनीष शर्मा को प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है.
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कृष्णा अल्लावरु को बिहार युवा कांग्रेस के प्रभारी पद से हटाने का फैसला कांग्रेस हाईकमान का था, लेकिन इसके पीछे की वजह अभी स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा, कल पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अल्लावरु को मंच पर एक साइड में बैठाया गया, जिससे संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस आलाकमान उनसे बहुत खुश नहीं है. बिहार में महागठबंधन के सहयोगी के रूप में कांग्रेस ने अब तक 61 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. टिकट वितरण में दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग की भागीदारी को लेकर पहले से असंतोष था.
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कई वरिष्ठ नेता खुलकर शिकायत कर रहे हैं कि कांग्रेस के टिकट वितरण में पुराने और संघ से जुड़े चेहरों को प्राथमिकता दी गई है, जबकि पार्टी के लिए समर्पित युवा और जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह विरोध सिर्फ एक कार्यकर्ता का नहीं, बल्कि कई जिलों से आ रही नाराजगी का प्रतीक है. यदि इसे समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो चुनावी मैदान में इसका असर पड़ सकता है. कांग्रेस नेतृत्व ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे.