देश और कोलकाता के मशहूर प्रेसीडेंसी कॉलेज के छात्रसंघ के चुनाव के समय शहर की दीवारों पर पोस्टर लगाना या प्रचार लिखना आम है. लेकिन इस दौरान कैंपस की दीवारों और खंभों को चुनावी पोस्टरों से गंदा होने से बचाने के लिए परिसर में चलने वाला पोस्टर बोर्ड की व्यवस्था की गई है.
परिसर में पहियों वाले चार धातु के बने पोस्टर बोर्ड की व्यवस्था की गई है, जिस पर छात्र पोस्टर चिपका सकते हैं या लेखन कर सकते हैं.
अधिकारियों ने इसे 'पोर्टेबल डेमोक्रेटिक वॉल्स' का नाम दिया है.
कॉलेज की उपाध्यक्ष अनुराधा लोहिया ने बताया, 'कॉलेज किसी के विचार को जाहिर करने का लोकतांत्रिक अधिकार नहीं छीन रहा है. हम नए विचार के साथ आए हैं, जिसमें स्टूडेंट्स कैंपस को गंदा किए बिना अपना मत जाहिर कर सकते हैं.'
कॉलेज ने कैंपस में ऐसे 10 बोर्ड की व्यवस्था करने की योजना बनाई है. इस नए प्रयास से छात्र भी काफी खुश लग रहे हैं. स्नातक प्रथम वर्ष के एक छात्र ने बताया, 'हम इसके साथ हैं. यह एक अच्छा कदम है.'
कोलकाता का 197 साल पुराना यह संस्थान पहले प्रेसीडेंसी कॉलेज के नाम से जाना जाता था. 1817 में इसकी स्थापना के समय इसका नाम हिंदू कॉलेज था. 1855 में इसका नाम प्रेजीडेंसी कॉलेज कर दिया गया था.
इस शिक्षण संस्थान के पूर्व छात्रों में नोबल पुरस्कार विजेता साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सत्यजीत राय, मार्क्सवादी नेता ज्योति बसु और भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जैसी महान हस्तियां शामिल हैं.