मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, इसलिए ठंड कम होने लगती है. ये वो सामान्य वाक्य है जो हम बहुत से लोगों से सुनते रहते हैं. लेकिन क्या इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह जानते हैं.
प्रगति विज्ञान संस्थान के संस्थापक और राष्ट्रपति से राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2020 से पुरस्कृत साइंटिस्ट दीपक शर्मा इसे विस्तार से कुछ इस तरह से बताते हैं. उनका कहना है कि हमारी पृथ्वी साढ़े 23 डिग्री पर झुकी हुई है. सूरज का आकार अगर हम पृथ्वी से देखें तो सूरज पर पृथ्वी पूरे साल में 8 के आकार से चलता है. इस आकार में दिसंबर में ये सबसे नीचे जाता है जो कि ट्रॉपिक ऑफ क्रैपिकॉन यानी विषुवत रेखा है. इस विषुवत रेखा पर ये 21-22 दिसंबर को रहता है, इस दिन ठीक दोपहर टाइम पर ये 90 डिग्री कोण पर रहता है, तब परछाई जीरो होती है.
इसके बाद 21 और 22 जून को ये कर्क रेखा पर नीचे आ जाता है. इसी दौरान दिन सबसे बड़ा होता है. वो कहते हैं कि सूर्य तब भारत में कर्क रेखा में होता है. वहीं उधर आस्ट्रेलिया में ये 21-22 दिसंबर को कर्क रेखा में रहता है. इसीलिए वहां अभी लू चल रही है. दीपक शर्मा बताते हैं कि 14 जनवरी से सूरज कर्क रेखा की ओर आना शुरू हो गया है.
वो कहते हैं कि भारतीय संस्कृति और कैलेंडर में माना जाता है कि आज से सूर्य उत्तरायण होता है, वहीं इंग्लिश कैलेंडर 21-22 दिसंबर को ये माना जाता है. वैज्ञानिक कैलकुलेशन से भी 21-22 दिसंबर से ही सूर्य कर्क रेखा की तरफ बढ़ता है. इसी कारण भारत में मौसम गर्म होना शुरू हो जाता है.
क्या होती है कर्क रेखा
बता दें कि कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरतम अक्षांश रेखा हैं, जिस पर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं. यह घटना भारत में जून के समय होती है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है. जो कि मौसम गर्म होने का एक कारण है. इसी के समानान्तर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जो मकर रेखा कहलाती है. सूर्य और पृथ्वी की स्थिति के कारण ही अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर मौसम बदलता है.
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