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CBSE से क्यों ली NEET की जिम्मेदारी? NTA के खिलाफ प्रदर्शन में प्रोफेसर विजेंदर ने उठाए सवाल

NEET Latest News: प्रसिद्ध शिक्षक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजेंदर चौहान ने छात्रों के इस आंदोलन में उनका समर्थन किया. आज तक से विशेष बातचीत में प्रोफेसर चौहान ने पूछा कि यह जिम्मेदारी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से क्यों ली गई.

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NTA के खिलाफ छात्र संगठनों के प्रदर्शन में पहुंच प्रसिद्ध प्रोफेसर विजेंद्र चौहान
NTA के खिलाफ छात्र संगठनों के प्रदर्शन में पहुंच प्रसिद्ध प्रोफेसर विजेंद्र चौहान

NEET UG पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. ईओयू से नीट पेपर लीक मामले की जांच रिपोर्ट और सबूत हासिल करने के बाद सीबीआई की टीम एक्शन में है. आज CBI स्पेशल कोर्ट के जज हर्षवर्धन सिंह ने दो आरोपियों की तीन दिन के लिए रिमांड को मंजूरी दे दी है. आज से CBI इन आरोपियों से पूछताछ शुरू करेगी. लेकिन इससे परीक्षार्थियों का गुस्सा अभी कम नहीं हुआ है. विभिन्न वामपंथी संगठनों के छात्रों ने आज जंतर मंतर पर एकत्रित होकर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. 

NTA खत्म करने की मांग
दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने NTA को खत्म करने, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को फिर से लागू करने, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे और विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की स्वायत्तता लौटाने की मांग की.

CBSE से क्यों ली गई परीक्षाओं की जिम्मेदारी?
प्रसिद्ध शिक्षक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजेंदर चौहान ने छात्रों के इस आंदोलन में उनका समर्थन किया. आज तक से विशेष बातचीत में, प्रोफेसर चौहान ने NTA की मौजूदा कार्यप्रणाली में दो प्रमुख खामियों को उजागर किया. 

पहला, उन्होंने बताया कि NTA को इतने बड़े पैमाने पर परीक्षाएं संचालित करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं दिए गए. उन्होंने सवाल उठाया, "इस स्तर पर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करना चुनाव कराने जैसा है," और यह भी पूछा कि यह जिम्मेदारी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से क्यों ली गई.

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दूसरा, प्रोफेसर चौहान ने NTA में भर्ती प्रक्रियाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप पर चिंता जताई, जो उनके अनुसार छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. उन्होंने कहा, "जब भर्ती में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है, तो इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है."

इसके अलावा, प्रोफेसर चौहान ने NEET को फिर से लागू करने की वकालत की, क्योंकि वर्तमान प्रणाली में कई अनियमितताएं पाई गई हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि जब शिक्षा को परीक्षा के साथ बदल दिया जाता है, तो शिक्षा का असली मतलब खो जाता है और यह जीवन से बड़ी चुनौती बन जाती है.

2018 तक सीबीएसई और AIIMS कराते थे मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम
बता दें कि मेडिकल कॉलेजों में MBBS और BDS कोर्सेज में एडमिशन के लिए यह परीक्षा 1988 से आयोजित की जा रही है, जिसका नाम बदलकर अब नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) कर दिया गया है. यह एक नेशनल लेवल की परीक्षा है, जिसे 2018 तक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) करवाता था. इसके अलावा AIIMS दिल्ली और अन्य AIIMS संस्थानों में MBBS कोर्सेज में एडमिशन के लिए अपना अलग एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता था. वहीं कुछ राज्यों की अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं अलग होती थीं, जैसे कि महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान प्रवेश परीक्षा (MHT CET) और कर्नाटक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (KGMU) परीक्षा कराता था.

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NTA मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन
शिक्षा मंत्रालय ने बीते शनिवार NTA मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है. जो एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं की पारदर्शिता, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित को लेकर सिफारिश देगी. हाईलेवल कमेटी की कमान इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर BoG अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन को सौंपी गई है. कमेटी एनटीए के पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों के साथ-साथ वर्तमान में एनटीए के शिकायतों को सुलझाने की प्रक्रिया का आकलन करेगी. जहां सुधार की जरूरत है उनकी पहचान और इसकी दक्षता बढ़ाने के लिए सिफारिशें पेश करेगी. समिति 2 महीने के भीतर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

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