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ISIS का कोयंबटूर मॉड्यूल: NIA कोर्ट में 2 लोग दोषी करार, 29 सितंबर को होगा सजा का ऐलान

कोच्चि की एनआईए अदालत ने कोयंबटूर में आईएसआईएस की जड़ें फैलाने की कोशिश करने वाले दो आरोपियों को दोषी ठहराया. यह वही नेटवर्क था जो दक्षिण भारत के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी वारदातों के लिए तैयार करने में जुटा था.

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कोयंबटूर से आतंकी साजिश बेनकाब करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. (Photo: Representational)
कोयंबटूर से आतंकी साजिश बेनकाब करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. (Photo: Representational)

साल 2019 के कोयंबटूर आईएसआईएस मामले में एनआईए कोर्ट ने शनिवार को दो आरोपियों को दोषी ठहराया. यह फैसला उस केस से जुड़ा है, जिसने दक्षिण भारत में आईएसआईएस की पैठ और उसके नेटवर्क की साजिश को उजागर किया था. कोर्ट ने कोयंबटूर के उक्कदम अंबु नगर निवासी मुहम्मद अज़हरुद्दीन (27) और दक्षिण उक्कदम निवासी शेख हिदायतुल्ला उर्फ फिरोज खान (35) को दोषी पाया. 

एनआईए कोर्ट के जज एन शेषाद्रिनाथन ने कहा कि दोनों दोषियों ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार किया, युवाओं की भर्ती की कोशिश की और भारत में आतंक फैलाने की साजिश रची. दोनों भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 38 और धारा 39 के तहत दोषी पाए गए है. कोर्ट ने दोनों दोषियों की दलीलें भी सुनीं.

इसमें अभियुक्तों ने अपनी पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला देकर नरमी बरतने की अपील की थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि हिदायतुल्ला को दो दिन के लिए वियूर उच्च सुरक्षा जेल भेजा जाए. 29 सितंबर को दोनों को व्यक्तिगत रूप से पेश कर सजा सुनाई जाएगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने 40 गवाहों से पूछताछ की गई, जबकि प्राथमिकी में छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.

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साल 2019 में एनआईए ने दोनों अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. एनआईए की जांच में सामने आया कि अजहरुद्दीन साल 2013 से जमात-ए-इस्लामी हिंद के सहयोगी संगठन वहादत-ए-इस्लामी से जुड़ा हुआ था. उसी साल वो कोयंबटूर में संगठन का जिला नेता बना और रेयान मस्जिद जैसे स्थलों पर भाषण देने लगा. साल 2016 से दोनों आरोपी चरमपंथी सल्फी विचारधारा के प्रभाव में आए.

इस दौरान अनवर-अल-अवलाकी, अबू बारा, मूसा सेरानटोनियो और श्रीलंका के जहरान हाशिम जैसे कट्टरपंथी उपदेशकों के ऑनलाइन भाषण सुनते और फैलाते रहे. उनके डिजिटल उपकरणों से आईएसआईएस के नेताओं की सामग्री, भाषण और श्रीलंकाई आईएसआईएस नेता जहरान हाशिम से संबंधित दस्तावेज़ बरामद किए गए. यही नहीं अजहरुद्दीन कई श्रीलंकाई व्यक्तियों और संगठनों से संपर्क में था. 

साल 2017 से 2019 के बीच उन दोनों ने केरल और तमिलनाडु के विभिन्न इलाकों का दौरा किया. आईएसआईएस को समर्थन देने के लिए स्थानीय नेटवर्क मजबूत करने का काम किया. एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरोपियों ने सोशल मीडिया, व्यक्तिगत मुलाकातों और डिजिटल उपकरणों के जरिए आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार किया और युवाओं को भर्ती करने की साजिश रची. 

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