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बेटे को जान से मारने की धमकी, ड्रग्स केस का डर... बेंगलुरु में महिला को 'डिजिटल अरेस्ट' कर यूं लूटे 2 करोड़

बेंगलुरु में डिजिटल अरेस्ट स्कैम का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां साइबर क्रिमिनल ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर 57 साल की महिला से 2.05 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर ली. गिरफ्तारी की धमकी देकर महिला को प्रॉपर्टी बेचने और लोन लेने तक के लिए मजबूर किया गया.

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बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड पुलिस स्टेशन में साइबर ठगी का केस दर्ज. (Photo: Representational)
बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड पुलिस स्टेशन में साइबर ठगी का केस दर्ज. (Photo: Representational)

बेंगलुरु में साइबर ठगी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम के खतरनाक चेहरे को उजागर कर दिया है. यहां 57 साल की एक महिला को फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर ठगों ने इस कदर डराया कि उसने 2.05 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम गंवा दी. यह पूरा अपराध 19 जून से 27 नवंबर के बीच हुआ. 19 जून को महिला को एक अनजान नंबर से कॉल आया. 

कॉलर ने खुद को ब्लू डार्ट कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताया. उसने कहा कि महिला के आधार कार्ड से जुड़े एक बैगेज में ड्रग्स मिले हैं. इसके बाद धमकी दी गई कि मुंबई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी. इसके बाद ठगों ने महिला को एक ऐप इंस्टॉल करने के लिए कह दिया. उसको लगातार वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में रहने के लिए कहा गया. इस तरह उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिय गया.

FIR के मुताबिक, पहले हफ्ते में आरोपी वीडियो कॉल और WhatsApp कॉल के जरिए महिला पर लगातार नजर रखते थे, ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके. आरोपी पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल पर आते थे. वे खुद को इंस्पेक्टर और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस रैंक का अधिकारी बताते थे. वे अलग-अलग मोबाइल नंबरों से महिला को कॉल करके लगातार पैसों की मांग करते थे.

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पुलिस के मुताबिक, ठगों ने महिला को धमकी दी कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो उनके बेटे की जान को खतरा होगा. गिरफ्तारी के डर से महिला पूरी तरह टूट गई. उनकी बातों में आ गई. उसने मलूर में अपने दो प्लॉट कम कीमत पर बेच दिए. इसके अलावा विज्ञान नगर में स्थित अपना एक अपार्टमेंट भी बेच दिया. पैसे के लिए एक बैंक से लोन भी लिया और रकम आरोपियों को ट्रांसफर कर दी.

20 जून से लेकर अब तक महिला ने कुल 2 करोड़ 5 लाख 652 रुपए आरोपियों के बताए खातों में ट्रांसफर किए. यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा. ठग लगातार वीडियो कॉल के जरिए उसे डराते रहे. यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब आरोपियों ने महिला से कहा कि वो एक नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के लिए पुलिस स्टेशन जाए. ठगों ने भरोसा दिया कि पूरी रकम वापस कर दी जाएगी. 

पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद महिला को एहसास हुआ कि वह डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हो चुकी है. उसकी शिकायत के आधार पर 27 नवंबर को व्हाइटफील्ड पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 319 (2) और धारा 318 (4) के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. इसके साथ ही इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की संबंधित धाराएं भी लगाई गई हैं.

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पुलिस का कहना है कि इस मामले की गहन जांच जारी है. साइबर ठगों की पहचान कर उन्हें पकड़ने की कोशिश की जा रही है. यह मामला एक बार फिर चेतावनी देता है कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आने वाली कॉल्स कितनी खतरनाक साबित हो सकती हैं. ऐसे सरकार और पुलिस द्वारा लगातार लोगों को चेतावनी जारी की जा रही है. लोगों को बचने की सलाह दी जा रही है.

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